अब भाभी पता नहीं क्या बड़बड़ा रही थीं. कुछ देर बाद भाभी मुझसे बोलीं- राकेश, अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा है, मुझे चोद दो, फाड़ डालो मेरी इस चूत को, फाड़कर इसका भोसड़ा बना दो.
मेरा नाम राकेश (बदला हुआ नाम) है. मैं राजस्थान की राजधानी जयपुर का रहने वाला हूँ. आपको बोर न करते हुए मैं सीधा अपनी कहानी पर आता हूँ.
बहुत ज्यादा पुरानी बात नहीं है. मैं जयपुर में रहकर पढ़ाई करता था. वहां मैं एक कमरा किराए पर लेकर रहता था. मेरे पड़ोस में ही एक फैमिली रहती थी. इस फैमिली में पति और पत्नी बस दो ही लोग थे.
पति यहाँ एक प्राइवेट कंपनी में काम करता था. वह सुबह साढ़े नौ बजे काम पर अपने ऑफिस चला जाता था और शाम को सात बजे वापस आता था. इधर उसकी पत्नी रूम पर अकेले ही रहती थी.
शुरू-शुरू में मेरी उनसे कोई बात नहीं होती थी. धीरे-धीरे हमारी आपस में बातें होने लगी. जब हमारी बातें होनी शुरू हो गई तो उस औरत का पति कभी-कभी मेरे रूम पर भी आने लगा. मैंने अपने रूम पर एक कम्प्यूटर रखा था. जब भी वह मेरे रूम पर आता, मैं कंप्यूटर चला देता और वह बैठकर उसमें फ़िल्में देखा करता था.
मैंने उसकी पत्नी को भाभीजी बुलाना शुरू कर दिया था. भाभीजी भी अपने पति से साथ कभी-कभी मेरे रूम में आ जाया करती थी. एक दिन उनके पति ने मुझसे कंप्यूटर पर सेक्सी फ़िल्म चलाने के लिए कहा. उन्होंने कुछ ही देर तक वीडियो देखा और फिर वह वहां से उठकर चले गये. मैं समझ गया कि आज भाभीजी की सामत आ गई.
अगली सुबह जब भाभी का पति काम पर चला गया तो मैंने भाभी से पूछा- रात को आपके पति ने आपको खूब परेशान किया होगा न भाभी.
यह सुन कर भाभी शरमा गई और अपना सिर दूसरी तरफ घुमा कर हल्के से मुस्कुरा दिया. पहले मैं आपको भाभी के बारे में बता दूं, भाभी के स्तन बहुत बड़े थे, जिनको देखकर ही मेरा लण्ड खड़ा हो जाता था. उनके शरमा कर मुस्कुराने पर मुझे ग्रीन सिग्नल मिल गया और धीरे-धीरे मैंने भाभी से सेक्सी बातें करना चालू कर दिया.
धीरे-धीरे भाभी भी मेरे से पूरा खुल गई थी. एक दिन सुबह जब उसका पति कम पर चला गया, तब मैं अपने रूम में ही था. तभी अचानक भाभी मेरे पास मेरे रूम में आई.
उस समय मैं अपने कंप्यूटर में फ़िल्म देख रहा था. भाभी भी आकर कुर्सी पर बैठ गईं और मेरे साथ फ़िल्म देखने लगीं. कुछ देर बाद फ़िल्म में एक सेक्सी सीन आता है. उस सीन को देखकर भाभी ने मुझसे पूछा- फिल्मों में क्या ये सब सच में होता है! या झूठ ही दिखाया जाता है. मैंने कहा- भाभी, फिल्मों में ऐसा जो भी दिखाया जाता है वह पूरा सौ फीसदी सच होता है.
फिर मैंने उनसे कहा- भाभी! ये सब तो कुछ भी नहीं है, अगर आप बुरा न मानो तो मैं आपको असली सेक्सी फ़िल्म दिखा सकता हूँ. आपके पति यहां मेरे पास से ही सेक्सी फ़िल्म देख कर जाते हैं और आपके साथ सेक्स करते हैं. आप भी देखना चाहेंगी? भाभी ने तो मना कर दिया था पर मैंने तब तक कंप्यूटर पर ब्लू फिल्म चला दी थी. फ़िल्म में दो लड़के एक लड़की के साथ सेक्स कर रहे थे.
यह देख कर भाभी भी खूब गरम हो गई. वो उठकर जाने लगी, तो मैंने उनका हाथ पकड़ लिया और पलंग की ओर खींचा. जिससे वह पलंग पर गिर गईं.
अब मैंने कपड़े के ऊपर से ही उनके दोनों स्तनों को दबाना शुरू कर दिया. वो आहें भरने लगी. मैंने तेजी से आगे बढ़ते हुए कपड़े के ऊपर से ही उनके स्तनों को चूसना शुरू कर दिया.
भाभी ने कुछ समय तक तो मुझे रोकने की पूरी कोशिश की पर अब मैं रुकने वाला नहीं था. वह मुझे तेजी से धक्का देकर मुझसे छूटना चाह रही थीं. मैंने मौका हाथ से निकलता देखकर तुरन्त ही उनकी चूत में अपनी अंगुली डाल दी. कुछ देर कशमसाने के बाद अब वह शांत हो गईं.
उधर कंप्यूटर में भी चुदाई का ही सीन चल रहा था. जिसे देखकर अब भाभी भी जोश में आ गईं. तब तक मैंने उनकी साड़ी को खोल कर उनके शरीर से अलग कर दिया था.
अब भाभी मेरे सामने पेटीकोट और ब्लाउज में थीं. तभी अचानक मैंने उनका पेटीकोट का नाड़ा खींच दिया जिससे पेटीकोट सरक कर नीचे चला गया. मैं उनका ब्लाउज भी अब खोल चुका था.
अब मेरे सामने वह सिर्फ गुलाबी ब्रा और काली पैंटी में थीं. अब मेरी नजर उनकी पेंटी में थी जो मेरे और चूत के बीच दीवार का काम कर रही थी. फिर मैंने पैंटी भी नीचे खींच दिया और ब्रा का हुक भी खोल दिया. अब मेरे सामने भाभी की फूली हुई चूत और दो बड़े-बड़े स्तन थे.
पहले मैंने उनके दोनों स्तनों का खूब दूध पिया लेकिन चूत में अंगुली करना अभी भी बंद नहीं किया था. चूत में काफी देर तक अंगुली करके मैंने भाभी को चरम सीमा पर पहुंचा दिया.
अब भाभी पता नहीं क्या बड़बड़ा रही थीं. कुछ देर बाद भाभी मुझसे बोलीं- राकेश, अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा है, मुझे चोद दो, फाड़ डालो मेरी इस चूत को, फाड़कर इसका भोसड़ा बना दो.
यह सुन कर मैं भी कंट्रोल से बाहर हो गया. मैंने तुरन्त ही अपने सारे कपड़े खोल दिए. मेरा 8 इंच लंबा लण्ड देख कर भाभी डर गईं और बोलीं- राकेश! मैं इसको अंदर नहीं ले पाऊंगी.
मैंने उनको समझाकर लंड उनकी चूत में डाल दिया. पहले जितना लंड आसानी से घुस रहा था, मैंने उतना घुसेड़ दिया. अब मेरा लण्ड लगभग 2 इंच बाहर था. कुछ देर रुकने के बाद मैंने एक ज़ोर का झटका दिया और पूरा लंड उनकी चूत में घुसा दिया.
भाभी ज़ोर से चिल्लाईं. मैंने तुरन्त ही उनके होठों को अपने होठों में दबा लिया. फिर धीरे-धीरे लण्ड को अंदर बाहर करने लगा. अब भाभी चुप हो गईं थी. उनको मज़ा आने लगा था. वह अब अपनी गांड उछाल-उछाल कर लण्ड ले रही थीं.
अब मैंने ज़ोर-ज़ोर से झटके देना शुरू कर दिया. भाभी ने मुझे अपनी बांहों में कसकर जकड़ लिया था. करीब 15 मिनट तक मैं ऐसे ही जबरदस्त झटके लगाता रहा. कुछ ही देर बाद मैं भी अपनी चरम सीमा पर पहुँचने वाला था. मैंने अपनी रफ़्तार और बढ़ा दी. कुछ देर बाद भाभी की चूत मेरे वीर्य से पूरी लबालब भरी हुई थी.
भाभी भी पूरी तरह संतुष्ट हो गयी थीं. अब तक उनकी चूत तीन बार पानी छोड़ चुकी थी. इसके बाद भाभी उठीं और अपने कपड़े ठीक करके अपने रूम चली गईं.
इसके बाद मैंने भाभी को कई बार चोदा. अब हमारा यह रोज का काम बन गया था. भाभी वहां करीब साल भर रहीं तब तक मैं उन्हें हर रोज ही चोदता था. फिर उन्होंने रूम कहीं दूसरी जगह ले लिया और मैं अकेला हो गया.
दोस्तों आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी मुझे मेरी E-mail ID- [email protected] पर जरूर बताएं.