पडोसी से बना रिश्ता- भाग 2

हाय दोस्तों! मैं रश्मी जोशी फिर से अपनी अगली कहानी के साथ हाजिर हूँ. अपनी पिछली कहानी “पडोसी से बना रिश्ता- भाग 1” में मैं अपने और अपने पडोसी लड़के अक्षय के साथ बाने सेक्स सम्बन्ध के बारे में बता चुकी हूँ. अब मैं उससे आगे की घटना को बताना चाहती हूँ…..

जब से अक्षय ने मुझे चोदा था तब से वो मेरे साथ जब चाहे कुछ भी करता था जैसे मुझे छूना, मेरे नितंबो पे हाथ फेरना, मुझे किस करना. मुझे हमेशा इस बात का डर लगता था कि काहीं कोई देख न ले. एक दिन मेरे पति संजय ने मुझे बताया कि उन्हें एक ऑफिसियल काम से 5 दिनों के लिए बाहर जाना है. मैंने उनका सामान पैक कर दिया.

दूसरे दिन सुबह ही वो निकल गए मैंने भी सुबह के सारे काम निपटाए और पप्पू को उसकी स्कूल बस तक भी छोड़ कर आ गयी. आकर बाथरूम में नः रही थी. जब भी मैं अपने स्तनों को साबुन लगाकर मसलती तो मेरी आखों के सामने अक्षय का चेहरा सामने आ जाता. फिर मेरा हाथ मेरी चूत तक पहुँच गया और अक्षय के साथ हुयी चुदाई को याद करके मैं अपनी चूत में ऊँगली करने लगी.

अभी मैंने बाथरूम से निकल कर अपने कपड़े पहने ही थे कि दरवाजे की घंटी बजी. दरवाजा खोलने पे सामने अक्षय था. मैंने उससे पूछा-  तुम यहाँ कैसे??

अक्षय- सुबह संजय जी से मुलाकात हुयी थी. उन्होंने बोला कि वो 5 दिनों के लिए बाहर जा रहे हैं तो उनके पीछे उनकी फॅमिली का ख्याल रखूँ. तो मैंने सोचा की ये सही समय है ख़याल रखने का.

कहकर उसने आँख मारी. मैं उससे कुछ काह पाती इससे पहले ही उसने मुझे गोदी में उठाया और हमारे बैडरूम में ले गया. मुझे बेड पे फेंक कर मेरे ऊपर ही कूद गया. मेरी तो सांस ही रुक गयी.

मैंने उससे कहा- अक्षय! मैं किसी की पत्नी और एक बच्चे की माँ हूँ. जो कुछ इसके पहले हुआ वो कुछ कमजोर क्षणों में की हुयी भूल थी. अब ये सब करना ठीक नहीं.

अक्षय- और मेरा क्या? मैं जो तुम्हारे जिस्म का दीवाना हो चुका हूँ. सोते- उठते बाथरूम में मैं तुम्हारा जिस्म ही याद करता हूँ. बोलो! क्या तुम्हारे साथ ऐसा नहीं होता?

मैंने मन में सोचा कि अभी-अभी तो बाथरूम में मैंने भी उसे याद किया था. लेकिन मैं कुछ नहीं बोली.

अक्षय ने फिर कहा- मेरी आखों में आखें डाल कर कहो! तुम मुझे नहीं चाहती.

मैंने कहा- चाहती हूँ! लेकिन मेरे पास मेरी फॅमिली भी है.

अक्षय- तो मैंने कब कहा कि फॅमिली छोड़ दो. मै तो बस इतना चाहता हूँ कि तुम मेरे साथ भी सेक्स का मजा लो. सच कहना क्या तुम्हे मेरे साथ मजा नहीं आया?

मैं- आया…..लेकिन..न

मैं कुछ कहती इसके पहले ही उसने मेरे होठों पे अपने होंठ रख कर चुप करा दिया.

अब हां दोनों एक दूसरे को किस करने लगे. सच में तो मुझे उसके साथ सेक्स करना पसंद था. उसका वो मर्दाना अंदाज मुझे बहुत पसंद था.

फिर हम दोनों के कपड़े उतर गए. मैं अभी भी बेड पे ही लेती हुयी थी और वो मेरे बदन पे हाथ फेर रहा था. मैं आखें बंद करके सिस्कारिया भर रही थी तभी उसने मेरी 4-5 तस्वीरें ले ली. मै अपनी चूत और चूचियों को अपने हाथों से छुपाने का असफल प्रयत्न करते हुए कहा- नहीं अक्षय! ये फोटो डिलीट करो! अभी के अभी!

अक्षय- फ़िक्र मत करो जान! मैं ये किसी को नहीं दिखाऊंगा. ये तो बस जब तुम मेरे पास नहीं रहोगी तब का सहारा है.

मैं- नहीं! तुम अभी इसे डिलीट करो.

फिर उसने मेरे सामने ही सारी फोटो डिलीट कर दी. मेरी जान में जान आई.

मैंने कहा- तुमने तो मेरी जान ही निकाल दी. इतनी देर में मैंने न जाने क्या-क्या सोच लिया था.

उसने कुछ कहा नहीं बस मेरे उपर आ गया और कुछ देर मेरे बदन को चूमने के बाद उसने मुझे पेट के बल कर दिया. फिर वो किचेन में गया और मोमबत्ती ले आया. फिर उसने मेरी गांड के छेद पे ढेर सारा थूक लगाया और मोमबत्ती को मेरी गांड में घुसाने लगा. मुझे दर्द हुआ तो उसने एक तकिया मेरे पेट के नीचे लगा दिया. अब मेरी चूत और गांड दोनों थोड़े उठ गये. उसने मेरी चूत को चाटना शुरू किया और फिर से मोमबत्ती को गांड में घुसाने लगा. सच कहूँ तो मुझे अब काफी मजा आ रहा था. धीरे-धीरे अक्षय मेरी गांड में मोमबत्ती को अन्दर बाहर करने लगा. और फिर पूरी मोमबत्ती को गांड में घुसा कर छोड़ दिया.

अब अक्षय ने अपना लौड़ा मेरे मुँह से सटा दिया और चूसने को कहा. हम दोनों 69 की अवस्था में थे मैं अक्षय का लंड अपनी चूत में गपागप ले रही थी और अक्षय चूस चूस कर मेरी चूत का रस निकाल रहा था. जब मैंने उसका लंड चूस कर गीला कर दिया तो फिर उसने पोजीशन बदली और नीचे आकर उसने अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया. मेरी गांड में पूरी मोमबत्ती थी और ऊपर से मेरे चूत में अक्षय अपना लौड़ा अंदर-बाहर कर रहा था. गांड में मोमबत्ती होने की वजह से चूत की कसावट बढ़ गयी थी. अक्षय का लंड मुझे शादी के शुरुवाती दिनों की याद दिला रहा था जब संजय का लंड भी मेरी चूत के दीवारों को इसी तरह घिसता था. फच-फच की आवाज माहौल को काफी मादक बना रही थी. अक्षय की हर हरकत मुझे और उत्तेजित कर रही थी. चाहे वो मेरे होठों को उसके होठों द्वारा चूसा जाना हो या मेरी निप्पल को उसके द्वारा काटा जाना. लेकिन जितना मजा मुझे आ रहा था उससे दुगुना मजा तो अक्षय को आ रहा था. इस मजे को वो ज्यादा देर झेल नहीं पाया और 15 मिनट में झड़ गया.

झड़ने के बाद मैंने अपनी ऊँगली से अपने गांड में घुसी मोमबत्ती निकालनी चाही. पर वो निकल नहीं पायी. तब अक्षय ने मेरी गांड में अपनी ऊँगली घुसा कर उसे निकाला. उसकी उँगलियाँ जब मोमबत्ती खींचकर निकाल रही थीं तो मेरी चीख ही निकल गयी.

मैंने गुस्से से कहा- फाड़ोगे क्या मेरी गांड को?

अक्षय ने कहा- अभी नहीं मेरी जान! थोड़ा आराम कर लो, फिर गांड भी चुदवा लेना.

कहकर वो मेरे बगल में ही लेट गया.

मैंने कहा- अपनी गांड ती मैंने आज तक संजय से भी नहीं चुदवाई. फिर तुम तो भूल ही जाओ!

मैं भी थक गयी थी इसलिए मैं भी उसके बगल में ही लेट गयी. उस वक़्त तो मैंने अपनी गांड चुदाई के लिए मना कर दिया था लेकिन मैं जानती थी कि अक्षय इतनी आसानी से नहीं मानेगा.

दोस्तों तब तक आप मेल करके आगे की दास्ताँ के लिए मेरा हौसला बढाते रहिये!

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