मेरा पहला प्यार मेरी दोस्त की भाभी

अब तो उनसे भी बर्दास्त नहीं हो रहा था. अब वो जोर से आग़े – पीछे करने लगी. उन्हें दर्द होने लगा पर मैंने नीचे से अपनी स्पीड जारी रखी. कुछ देर बाद उनकी चिल्लाहट कम हुई. उन्हें दर्द अभी भी हो रहा था, लेकिन अब मज़ा भी आने लगा था…

हेलो दोस्तों, मेरा नाम राज है. मैं 19 साल का हूँ और पटना में रहता हूँ. ये मेरी पहली कहानी है और आशा है कि आप लोगों को भी ये बहुत पसंद आएगी. मेरी यह कहानी मेरी सेक्सी अनुभव के बारे में है कि कैसे मैंने पहली बार सेक्स के बारे में जाना.

बात कुछ महीने पहले की है. मेरा पहले सेमेस्टर एग्जाम हाल ही में ख़त्म हुआ था और अब मैं कुछ दिन मज़े करना चाहता था. उस समय मेरा एक दोस्त मेरे घर आया हुआ था. उसका एक भाई भी था, जिसकी शादी अभी – अभी कुछ महीने पहले ही हुई थी.

मेरे उस दोस्त ने बताया था कि उसकी भाभी बहुत मस्त है. यह सुन कर मैंने भी जिद की कि मुझे भी तुम्हारी भाभी को देखना है. मेरी जिद पर वो मुझे अगले दिन अपने साथ अपने घर ले गया.

सच में यार, उसकी भाभी बहुत मस्त थी. मैं तो 2 मिनट तक उनको निहारता ही रह गया. उस दिन उन्होंने लाल साड़ी पहन रखी थी. उस लाल साड़ी और खुले बालों में वो कमाल की लग रही थीं. वो भाभी बड़ी सेक्सी लग रही थी.

उनको देख कर मेरा तो मन कर रहा था कि अभी जाकर उनको एक प्यारी सी पप्पी ले लूं, पर न कर सका. जब भाभी ने हम लोगों को देखा तो कहा कि बाहर क्यों खड़े हो, अन्दर आ जाओ न.

यह सुन कर मेरा तो दिल मचला जा रहा था. फिर मैंने मिठाई का पैकेट भाभी को दिया. जो मैंने रास्ते ले लिया था. भाभी को मिठाई देते समय मेरा हाथ भाभी के हाथ से टच हो गया. मुझे बहुत ही अच्छा लगा. क्या एहसास था यार! उस दिन मुझे पता चला कि सेक्स जागृत होना क्या होता है!

फिर हम लोग अंदर चले गए. अंदर जाकर इसी तरह कुछ देर इधर – उधर को बातें करते रहे. फिर मैं चलने लगा तो भाभी ने मुझे कहा कि मिलने आते रहना. यह सुन कर मेरा तो दिल ही खुश हो गया था.

दोस्त के भैया तो सुबह चले जाते थे और फिर शाम को ही आते थे तो इससे मेरा काम और भी आसान हो गया था. फिर मैं उनके घर जाने लगा. अब तो उनके साथ उनके घर पर ही मेरा दिन भर का समय बिताता था, क्योंकि भैया तो हमेशा रात को देरी से आते थे.

इस तरह भाभी से मेरी बहुत गहरी दोस्ती हो गई. अब कहानी में आगे बढ़ने से पहले मैं आप सभी को भाभी के बारे में थोड़ा सा जानकारी दे देता हूँ. दोस्तों, उनके फिगर का साईज करीब 36-28-36 का रहा होगा. उनकी मोटी गांड और मोटे – मोटे बूब्स देख कर मेरा मन तो यही करता था कि पकड़ कर उन्हें मसल दूँ, लेकिन अफ़सोस कि वो मेरी भाभी थीं.

इसलिए मुझे अपनी हद में रहना पड़ता था. मुझे डर भी था कि कहीं भाभी ने भैया से कभी कुछ कह दिया तो में कहीं का नहीं रहूंगा. इसलिए मैं मुठ ही मारा करता था. धीरे – धीरे दिन गुज़रते गए, अब मैंने गौर किया कि भाभी बड़ी उदास सी रहने लगीं हैं.

मैंने कई बार इस बारे में उनसे पूछा, लेकिन वो हमेशा कुछ नहीं कह कर बात को टाल देती थीं, लेकिन दोस्तों मैं भी बहुत हरामी किस्म का हूँ. मुझे पता था कि भाभी कहीं ना कहीं अपनी सेक्स लाईफ से खुश नहीं है, क्योंकि भैया देर रात से घर आते और फिर थके होने के कारण जल्दी ही सो जाते थे.

एक दिन दोपहर के वक़्त मुझसे बात करते – करते भाभी पूछ बैठी कि राज आपकी कोई गर्लफ्रेंड है या नहीं?
तो मैं शरमाते हुए ना कहने लगा. लेकिन भाभी सब कुछ समझ गईं और वो मुझसे कहने लगी कि अरे देवर जी, भाभी से कैसा शरमाना, बताइए ना आपकी गर्लफ्रेंड का क्या नाम है?

अब मेरी हिम्मत थोड़ी बढ़ गई तो फिर मैंने भाभी से कहा कि भाभी, वैसे तो मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है, क्या आप मेरी गर्लफ्रेंड बनोगी?

इस पर भाभी ने मेरी बात को हंसते हुए टाल दिया. फिर उसके कुछ दिन बाद अचानक भाभी मुझसे बोली, “बॉयफ्रेंड जी, आज हम फिल्म चले क्या?” दोस्तों अब मैं क्या बताऊँ! यह सुन कर मैं तो खुशी के मारे बिल्कुल पागल सा हो रहा था. फिर मैं भाभी के पास गया और उनके गालों को पकड़ कर एक किस कर दिया और फिर बोला, “क्यों नहीं गर्लफ्रेंड जी, जैसा आप कहो वैसा.”

फिर भाभी ने मुस्कुराते हुए कहा कि आज से मैं तुम्हारी प्रिया हूँ भाभी नहीं. तो मैंने कहा, “ठीक है प्रिया.” अब हम दोनों फिल्म देखने चले गए. मैं उस दिन बहुत खुश था. तभी फिल्म देखते टाइम एक हॉट सीन आ आया. जिसे देख कर अब भाभी धीरे – धीरे गरम होने लगी.

हमारी साईड कॉर्नर सीट थी तो भाभी अपने कंधे से मेरे कंधे को छूने लगी भाभी उस समय बिना बांह का ब्लाउज और साड़ी पहने हुई थी. ऐसे में उनके मलाई जैसे कोमल हाथ छूते होते ही मेरे रोंगटे खड़े हो गये और फिर हम फिल्म खत्म करके घर पर आ गये.

अब तो मुझसे बिलकुल रुका ही नहीं जा रहा था. मैंने झट से प्रिया को पकड़ कर अपनी बाहों में ले लिया और उसको किस पे किस करने लगा. जिसकी वजह से भाभी भी बिलकुल मदहोश हो गईं और अब वो मेरे ऊपर हावी हो गई थी.

ऐसा लग रहा था जैसे कि कोई व्यक्ति कई दिन से भूखा हो और खाना मिलते ही उस पर टूट पड़ा हो. भाभी की वही हालत थी. फिर मैंने उनसे कहा कि मेरी जान मुझे तुम्हारी चूत के दर्शन का तब से ही इंतज़ार था, जब तुम शादी करके इस घर में आई थी और आज मैं तुम्हें हर वो खुशी दूँगा जो भाई नहीं दे पाया.

इस पर भाभी हंसते हुए मेरे ऊपर लेट कर मेरे होंठों को चूसने लगी तो मैं अपने दोनों हाथों से भाभी के चूतड़ों को दबाने लगा और फिर हम उठ गए, लेकिन मैंने भाभी के बूब्स दबाते हुए उनके होंठो को चूसना चालू रखा.

अब उन्होंने मेरा लंड अपने मुंह मे ले लिया और चूसने लगी. जिससे मेरा लंड 2 मिनट में ही एक दम टाइट हो कर लोहे जैसा हो गया. फिर उन्होंने मुझे लेट जाने को कहा. जब मैं लेट गया तो वो मेरे उपर चढ़ गयी.

अब उन्होंने मेरे लंड का टोपा अपनी चूत के बीच रखा और थोड़ा सा दबाव बनाया. इससे मेरा लंड उनकी चूत में लगभग 2 इंच तक घुस गया. उन्हें थोड़ा दर्द हुआ और उनके मुंह से एक हल्की सी चीख निकल पड़ी. मैं बोला, “क्या हुआ भाभी? आप तो भैया पूरा लंड अंदर ले चुकी हैं तो फिर क्यों चीख रही हैं?”

इस पर उन्होंने कहा, “तू नहीं समझेगा. एक बार चुदवाने से चूत थोड़े ही चौड़ी हो जाती है. जब मैं तुझसे 8-10 बार चुदवा लूँगी तब जाकर तेरा लंड मेरी चूत में बिना दर्द के जाएगा.” इतना कह कर उन्होंने थोड़ा और दबाया तो मेरा लंड उनकी चूत मे 4 इंच तक घुस गया.

जिससे उनकी चूत में फिर से दर्द होने लगा और वो कराह उठी. फिर उन्होंने बिना और ज़ोर लगाए धीरे – धीरे धक्का लगाना शुरू कर दिया. थोड़ी ही देर में उनका दर्द कुछ कम हुआ तो उन्होंने थोड़ा और ज़ोर लगाया. इस बार मेरा लंड उनकी चूत में बच्चेदानी तक घुस गया और वो दर्द के मारे तड़पने लगी. इधर मेरे चेहरे पर भी पसीना आ गया था.

अब उन्होंने धीरे – धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए. कुछ देर बाद उनका दर्द जब कम हुआ तो वो बार एक गहरी सांस लेकर अपने पूरे बदन का वजन डालते हुए मेरे लंड पर बैठ गयी. इस बार वो दर्द से तड़प उठी. उनकी आँखो मे आँसू आ गये थे और उनका चेहरा पसीने से भीग गया. अब मेरा पूरा लंड उनकी चूत मे समा चुका था.

फिर वो थोड़ी देर तक मेरा पूरा लंड अपनी चूत में डाले हुए बिना हिले मेरे लंड पर बैठी रही. 2-3 मिनट के बाद उन्होंने धीरे – धीरे धक्का मारना शुरू किया.

अब तो उनसे भी बर्दास्त नहीं हो रहा था. अब वो जोर से आग़े – पीछे करने लगी. उन्हें दर्द होने लगा पर मैंने नीचे से अपनी स्पीड जारी रखी. कुछ देर बाद उनकी चिल्लाहट कम हुई. उन्हें दर्द अभी भी हो रहा था, लेकिन अब मज़ा भी आने लगा था.

फिर उन्होंने अपनी स्पीड थोड़ा और तेज की तो उनका दर्द बढ़ गया, लेकिन जो मज़ा मिल रहा था, उसके आगे ये दर्द कुछ भी नही था. 25-30 धक्कों के बाद उनका दर्द जाता रहा और मुझे खूब मज़ा आने लगा.

अब उन्होंने अपनी स्पीड तेज कर दी थी. अब वो मेरे लंड पर हवा में उछल रही थी. वो जब नीचे आती तो पूरे बदन के वजन के साथ मेरे लंड पर बैठ जाती थी. मुझको भी खूब मज़ा आ रहा था. जब वो नीचे आती तब मैं भी अपने चूतड़ को उठा देता था.

करीब 5 मिनट बाद ही उनकी चूत ने पानी छोड़ दिया. पूरा पानी निकल जाने के बाद वो मेरे उपर से हट गयी. अब वो बुरी तरह से हाफ़ रही थी. उनका चेहरा पसीने से लथ पथ था. मेरा भी पानी आ रहा था तो भाभी ने मुंह आगे कर दिया और सारा रस पी गयी .

फिर अब हम दोनों बिस्तर पर ऐसे ही पड़े रहे. इसके बाद भाभी ने मुझे ऐसा आनंद देने के लिए थैंक्स कहा, और फिर कभी मिलने को बुलाया. इसके बाद मैंने भी उन्हें पप्पी दी और अपने घर आ गया.

तो दोस्तों, कैसी थी मेरी यह कहानी? मुझे मेल करके जरूर बताएं. मेरी मेल आईडी – [email protected]