हमारे घर के बगल में एक आंटी रहती थीं. वो बहुत ही मस्त थीं. उनकी उम्र 35 साल हो चुकी थीं लेकिन अभी तक शादी नहीं हुई थी. मैं उन्हें चोदने की फिराक में था लेकिन कैसे कर पाया ये जानने के लिए पढ़ें मेरी इस कहानी को…
नमस्कार मित्रों, मेरा नाम पुनीत है और मैं महाराष्ट्र का रहने वाला हूँ. मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ. आप सब की कहानियों को पढ़ कर मुझे भी लगा कि मैं भी अपनी कहानी आप सब के सामने पेश करूं. यह मेरी अन्तर्वासना पर मेरी पहली कहानी है. उम्मीद है आप अब को पसंद आएगी.
मैं इंजीनियरिंग का एक स्टूडेंट हूँ और बीटेक थर्ड ईयर में पढ़ता हूँ. दोस्तों, हम जिस सोसाइटी में रहते हैं वह बहुत बड़ी है. उसमें लगभग 300 घर हैं. जहाँ सब अपने परिवार के साथ रहते हैं.
मेरे घर के बगल में एक फैमिली रहती है. उस फैमिली में एक दादा – दादी और उनकी एक लड़की रहती हैं. मैं उन्हें आंटी बुलाता था. उनकी उम्र 35 साल के आसपास थी लेकिन फिर भी उन्होंने अभी तक शादी नहीं की थी. यही नहीं वो दिखने में बहुत ही मस्त थीं. दोस्तों, उनका फिगर का तो मैं नहीं बता सकता क्योंकि कभी माप नहीं लिया लेकिन था बहुत ही धांसू.
अब आप लोगों का ज्यादा समय न लेते हुए मैं अपनी कहानी पर आता हूँ. सेमेस्टर एग्जाम खत्म होने के बाद इस बार मैं छुटियों में कहीं बाहर घूमने नहीं गया था. ऐसा इसलिए क्योंकि मैंने सोचा था कि इस बार घर बैठे ही छुट्टियां काटूंगा.
छुट्टियों में मैं घर पर ही था और आंटी भी अधिकतर समय घर पर ही रहती थीं इसलिए इन दिनों उनके साथ मेरा बोलना और उनके घर आना – जाना काफी बढ़ गया था.
उनके घर आते – जाते बोतले – बतियाते धीरे – धीरे आंटी की तरफ मेरा आकर्षण बढ़ता गया. अब उनसे बातें करना मुझे अच्छा लगने लगा था. धीरे – धीरे हमारे बीच काफी अच्छी बॉन्डिंग हो गई. अब मुझे उनके साथ अपने सीक्रेट्स शेयर करने में कोई आपत्ति नहीं थी क्योंकि अब मुझे पता चल गया था कि वो मेरे सीक्रेट अपने तक ही रखेंगी और किसी दूसरे से नहीं बताएंगी.
फिर जैसे – जैसे दिन कटते गए वैसे – वैसे हमारी पहचान भी बढ़ती गयी और हमारी बातचीत में खुला पन भी आता गया. अब उन्हें भी मेरे साथ खुल के बातें करने में कोई प्रॉब्लम नहीं थी. अब मैं उनके साथ फुल मस्ती करने के मूड में था. मैं उसे चोदने की फ़िराक़ में था लेकिन जुगाड़ नहीं हो पा रहा था और न ही वो लाइन दे रही थी.
फिर एक दिन उनके दादा – दादी को अपने गांव जाना था. लेकिन घर खाली न हो जाए इसलिए आंटी नहीं गईं. ऐसे में दादा – दादी के गांव जाने के बाद आंटी घर में अकेली रह गईं. वैसे उनके अकेले होने पर मैं उनको कंपनी देने वाला था और इस बात का फायदा मुझे उठाना था.
अब मैं रोज उनके घर जाता और हम दुनिया भर की बात करते रहते. लेकिन बात आगे नहीं बढ़ पा रही थी. एक दिन दोपहर को मैं उनके घर गया तो देखा कि आंटी टीवी देख रही थीं. वहाँ जाकर मैं भी उनके बगल में बैठ गया और फिर रोज की तरह इधर – उधर की बातें शुरू हो गईं.
उस दिन मैंने सोच लियाया था कि आज कुछ करना है. कैसे करना है इस बारे में कुछ नहीं सोचा. फिर उनका मूड डाइवर्ट करने के लिए मैंने उनसे कहा कि आओ अब हम कुछ खेलते हैं. इस पर उन्होंने कहा कि क्या खेलेंगे? तब मैंने कहा – चलो बच्चों वाला गेम हम बड़ों की तरह खेलते हैं.
इस पर उन्होंने कहा कि मुझे कुछ समझ नहीं आया. तब मैंने कहा कि आप खेलिए तो सही सब समझ में आ जायेगा. फिर हम वो घर – घर खेलने वाला गेम खेलने लगे. जैसा कि आपको पता ही होता है कि इसमें पति – पत्नी और उनका घर होता है तो वो मेरी पत्नी और मैं उनका पति बन गया.
खेल में मैं सीन ऐसा बनाया कि हम दोनों एक ही कॉलेज में पढ़ते हैं और पढ़ते हुए ही हमें एक – दूसरे से प्यार हो जाता है. फिर हमारी शादी होती है और फिर सुहागरात. मैंने आंटी को नॉटी तरीके से समझाया कि हमें सुहागरात वाले सीन तक खेलना है. वो मान गईं.
फिर क्या था! खेल शुरू हुआ और सुहागरात वाले सीन पर आने के बाद मैं आंटी को बैडरूम में ले गया. इस सीन को करने के लिए उन्होंने साड़ी पहन रखी थी. फिर मैंने उनका घूंघट उठाया और किस करने के लिए आगे बढ़ा तो आंटी ने कहा – बस, चलो अब बहुत हो गया खेलना. अब मुझे काम करना है, बहुत काम बाकी है.
मैं समझ गया था कि वो क्यों खेल बीच में ही छोड़ना चाहती हैं. तब मैंने कहा – आंटी, ये गलत बात है, आपको खेल खत्म करके ही जाना चाहिए! अब वो भी मेरे इरादे समझ गईं लेकिन बिना जाहिर किए उन्होंने थोड़ा गुस्सा किया लेकिन मैं अपनी बात पर अड़ा रहा.
फिर क्या था, आंटी के भी हवस की आग बुझने वाली थी सो उन्होंने भी हां कर दिया और हमने खेल आगे बढ़ाया. मैंने पहले किस से शुरुआत की. सबसे पहले उनके गाल पर चूमा. फिर बारी आई होंठों की. होंठ चूमते हुए मुझे ऐसा लग रहा था कि बस ऐसे ही उनके होठ चूमता रहूँ.
फिर धीरे – धीरे मेरे हाथों ने हरकत करना चालू कर दिया. अब मेरे हाथ उनके मम्मों पर पहुंच चुके थे और उन्हें टटोल रहे थे. क्या मस्त मम्मे थे उनके बड़े – बड़े और उभरे हुए! ऐसा करने में मुझे बहुत मजा आ रहा था दोस्तों. अब वो भी कुछ नहीं बोल रही थीं, बस शांत होकर मेरा पूरा साथ दे रही थीं.
फिर बारी आई उनके कपड़ों की, जो धीरे – धीरे करके उतर गए और अब आंटी मेरे सामने जन्मजात नंगी हो गईं. उनको नंगा देख कर मैं तो पागल हो गया. कितना मस्त नज़ारा था दोस्तों मैं बता नहीं सकता!
अब आंटी से भी रहा नहीं गया और उन्होंने मेरे कपड़े उतार दिए. अब मेरा लंड उनके हाथों में आ गया और उसे हाथों में पकड़ कर उन्होंने मुठ मारना शुर कर दिया. अब वो खुल कर सेक्स का मज़ा ले रही थीं.
फिर धीरे – धीरे हम 69 की पोजीशन में आ गए. क्या मस्त रस भरी चूत थी उनकी! उसे चाट कर मज़ा आ गया. उधर उन्हें भी मेरा लन्ड चूसने में मजा आ रहा था. वो लॉलीपॉप के जैसे मेरा लम्बा और मोटा लन्ड चूस रही थीं.
थोड़ी देर बाद जब हमसे कंट्रोल नहीं हुआ तो हम सीधे हो गए और चोदने की तैयारी में लग गए. अब आंटी ने अपने दोनों पैर फैला दिए और मुझे चोदने का आमंत्रण दे दिया. यह देख कर मैं भी झट से उनके पैरों के बीच में जाकर बैठ गया और लन्ड को चूत के छेद पर टिका दिया.
अब मैं धीरे से लन्ड को अंदर डालने लगा. धीरे – धीरे मेरा पूरा लन्ड उनकी चूत में घुस गया. क्या मस्त फीलिंग थी दोस्तों मजा आ गया! फिर आंटी के मम्मों को दबाते हुए मैंने उन्हें चोदना चालू कर दिया. उधर आंटी भी अपनी मादक आवाज़ों से मुझे उत्तेजित कर रही थीं.
अब मेरा मस्त लन्ड आंटी की चूत में अंदर – बाहर हो रहा था. थोड़ी देर की चुदाई के बाद अब मेरा वीर्य निकलने की तैयारी में था. तब तक आंटी एक बाद झड़ चुकी थीं और उनके चेहरे पर संतुष्टि का भाव साफ़ – साफ़ दिखाई दे रहा था. मैंने आंटी को बताया कि मैं आने वाला हूँ तो आंटी ने मुझे अंदर आने को ही कहा.
इसके बाद मैंने अपने धक्कों की स्पीड बढ़ाई और 20-25 धक्कों के बाद मैं उनके अंदर ही झड़ गया और निढाल हो के आंटी के मम्मों पर ही लेट गया. मुझे तो बहुत मज़ा आया था दोस्तों! दूसरी तरफ आंटी भी खुश नज़र आ रही थीं. अब हम खुल गए थे. इसलिए जब तक दादा – दादी नहीं आए थे तब तक हमने खूब चुदाई की. बाद में भी मौका मिलने पर हम चुदाई करने लगे.
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