एक रात भाभी के साथ

मैंने झट से अपना लंड उनकी चूत में डाल दिया और जोर जोर से चोदने लगा. भाभी अपने ऊपर हुए इस हमले से तड़प गई…

हेलो दोस्तों! मेरा नाम सरन है और मैं 23 साल का हूँ. आपका ज्यादा समय न लेते हुए मैं अपनी कहानी पर आता हूँ.

मेरे भैया की शादी २ साल पहले ही हुई है. मेरी भाभी का नाम अर्चना है. भाभी बहुत ही सेक्सी, गोरी और स्लिम हैं. वह अपना फिगर वेल मेन्टेन रखती हैं. चूंकि भैया एक बोम्बे में एक मल्टीनेशनल कंपनी में सीए हैं. इसलिए वो कभी- कभी ही घर आते हैं.

भाभी को रोजाना देख- देख कर मैं तो जैसे पागल हुआ जा रहा था. मैं हमेशा किसी न किसी बहाने भाभी को छूने की कोशिश करता रहता था. वो जब मेरे कमरे में झाडू लगाने आती तो झाडू लगते समय जैसे ही झुकती तो मेरी नजर सीधे उनके ब्लाउज़ के अंदर चली जाती. वाह! क्या गजब बूब्स हैं उनके! मेरा जी करता कि पकड़ कर मसल दूं. पर मैं तो सिर्फ़ उन्हें देखने के सिवा कुछ नहीं कर सकता था.

भाभी और मुझमें बहुत ही अच्छी जमती थी. हम
हंसी मजाक भी कर लेते थे. लेकिन हम कभी भी घर में अकेले नहीं होते थे, हमेशा कोई न कोई रहता था. मैं सोचता था कि काश एक दिन मैं और भाभी अकेले रहे तो शायद कुछ बात बन जाए.

सर्दी का मौसम था घर के सभी मेम्बर को एक रिश्तेदार की शादी अटेन्ड करने चेन्नई जाना था. भैया तो रहते नहीं थे, घर पर मम्मी- पापा, मैं और भाभी ही थे. पापा ने सबसे पूछा कि शादी में कौन- कौन जा रहा है. मैंने कहा मेरे तो एक्ज़ाम्स आ रहे हैं इसलिए मैं तो नहीं जा पाउंगा. मम्मी बोली कि चलो ठीक है इसकी मर्जी नहीं है तो ये यहीं घर पर रहेगा लेकिन इसके खाने की समस्या रहेगी. इतने में मैं बोला कि भाभी और मैं यहीं रह जायेंगे, आप
दोनों चले जाएं.

सबको मेरा आइडिआ सही लगा. अगले दिन मैं, मम्मी- पापा को ट्रेन में बिठा आया. अब घर में केवल मैं और भाभी ही थे और भाभी ने आज गुलाबी रंग की नेट वाली साड़ी और ब्लाउज पहन रखा था. ब्लाउज़ में से भाभी की ब्रा जो कि क्रीम कलर की थी, मुझे साफ़ दिख रही थी. मैं तो अपने आप को कंट्रोल ही नहीं कर पा रहा था. मैं भाभी को कहूं भी तो क्या? यही मैं सोच रहा था.

तभी भाभी मुझसे बोली- थैंक यू देवर जी.

मैंने कहा- थैंक यू किस बात के लिए भाभी.

भाभी बोली- मेरा भी जाने का मूड नहीं था और अगर आपकी पढ़ायी डिस्टर्ब न हो तो आज
मूवी देखने चलें.

मैंने कहा- चलो, लेकिन कोई अच्छी मूवी तो लगी
ही नहीं है, सिर्फ़ मर्डर ही लगी हुई है.

भाभी बोली- वही देखने चलते हैं.

यह सुनकर मैं चौंक गया. भाभी ड्रेस चेंज करने चली
गईं. वापस आयी तो उन्होंने डीप कट ब्लाउज़ पहना था जिसकी वजह से मुझे उनके ब्रा और बूब्स के दर्शन हो रहे थे. मैंने उनसे कहा- भाभी, अच्छी
दिख रही हो. भाभी बोली- थैंक्स.

फिर हम मूवी देखने सिनेमा हाल पहुंच गये. संयोग से हमें सीट भी सबसे ऊपर कोने में मिली. फ़िल्म शुरु हो गई थी और फ़िल्म के हॉट सीन देखकर मेरा लंड तो काबू में ही नहीं हो रहा था. अचानक मल्लिका का कपड़े उतारने वाला सीन आया. मैं देख रहा था कि भाभी के मुंह से सिसकिआं निकलनी शुरु हो गई हैं और भाभी मेरा हाथ पकड़ कर धीरे- धीरे सहलाने लगी.

अब मेरा भी हौसला बढ़ गया और मैंने भाभी के कंधे पर हाथ रख दिया और धीरे- धीरे सहलाने लगा. हाल में बिल्कुल अंधेरा था. भाभी की तरफ से कोई प्रतिरोध न देखकर, अब मेरा हाथ धीर- धीरे भाभी के बूब्स पर आ गया लेकिन भाभी ने कुछ नहीं कहा, वो तो फ़िल्म का मज़ा ले रही थी. अब मैं भाभी के बूब्स को मसल रहा था और फिर मैंने उनके ब्लाउज़ में अपना हाथ डाल दिया. भाभी सिर्फ़ सिसकरियां भरती रही और मुझे को ऑपरेट करती रही.

अब फ़िल्म खत्म हो चुकी थी और हम दोनो घर आ गए.

मैंने पूछा- क्यों भाभी, कैसी लगी फ़िल्म?

भाभी बोली- मस्त.

मैंने कहा- भाभी भूख लगी है.

फिर हम दोनों ने साथ ही खाना खाया और मैं अपने कमरे में चला गया. इतने में भाभी की अवाज़ आई क्या कर रहे हो देवेर जी? जरा इधर आओ न. मैं भाभी के बेडरूम में गया तो भाभी बोली- ये मेरी ब्रा
का हुक बालों में अटक गया है, प्लीज़ निकाल दो न. भाभी उस समय सिर्फ़ ब्रा और पेटीकोट में ही थी. उसने क्रीम रंग की ब्रा पहन रखा थी. मैंने ब्रा खोलने के बहाने पीछे से उसके निप्पलों को भी मसलकर उनकी पूरी पीठ पर हाथ फ़िरा दिया.

मैंने कहा- ‘भाभी, लो खुल गयी ब्रा’ और मैंने ब्रा को झटके से नीचे गिरा दिया. अब भाभी पूरी टॉपलेस हो चुकी थी. हम दोनों फ़ुल फ़ार्म में आ चुके थे.

भाभी बोली- देवेर जी, भूख लगी हो तो दूध पी लो.

मैंने भाभी को उठाया और बिस्तर पर ले गया. फिर मैंने उनका पेटीकोट भी खोल दिया. अब वो पूरी
नंगी हो चुकी थी और मैं भी. मैंने शुरुआत ऊपर से ही करना मुनासिब समझा और भाभी के लाल लिपस्टिक लगे रसीले होठों को जम कर चूसा. उसके बाद बारी आई उनके छाती की जिस पर कि
मोटी- मोटी दो दूध की टंकिया लगी थी. उनके निप्पल का सबसे आगे का हिस्सा बिल्कुल भूरा था. मैंने भाभी के बूब्स को इतना मसला और चूसा कि सच में ही दूध निकल आया था.

मैंने दोनों का जम कर आनंद लिया. भाभी के मुंह से तो बस आह आआआअह आआआआआह्हह सिसकरियां ही निकल रही थी. अब मैं बूब्स से नीचे भाभी की चूत पर आया. क्या क्लीन चूत थी! एक
भी बाल नहीं थे चूत पर. मैंने पहले तो भाभी की चूत को खूब चाटा फिर ट्रिपल एक्स फ़िल्मों की तरह जोर- जोर उनकी चूत में अंगुली करने लगा. भाभी बस आअह आआआह देवेर जी कर रही थी.

फिर मैंने भाभी को घोड़ी बनने के लिये कहा. भाभी घोड़ी बन गयी. फिर मैंने झट से अपना लंड उनकी चूत में डाल दिया और जोर जोर से चोदने लगा. भाभी अपने ऊपर हुए इस हमले से तड़प गई. इस तरह मैंने करीब 30 मिनट तक भाभी को अलग- अलग पोजिशन में चोदा (सोफ़े पर भी). अब मेरा निकलने वाला था तो मैंने भाभी से पूछा कहाँ निकलूं? तो भाभी बोली- अंदर ही निकाल दो, बाद में इमरजेंसी पिल ला देना. फिर मैंने अंदर ही अपना सारा माल निकाल दिया.

अब मैं थक गया था. भाभी बोली- तुमने तो मेरे बहुत मज़े ले लिया. मेरे शानदार फिगर वाले बूब्स को चूस- चूस और मसल- मसल कर लटका और खाली कर दिया. अब मेरी बारी है. मैं लेट गया भाभी मेरे ऊपर चढ़ गयी और मेरे सीने को मसलने और चूसने लगी और मेरे भी छोटे- छोटे स्तन निकाल दिये. मैं भी भाभी के बूब्स को मसल रहा था फिर भाभी मेरे लंड को पकड़ कर चूसने लगी. करीब 15 मिनट तक उसने मेरे लंड को चूसा.

अब हम दोनों को नींद आ रही थी इसलिए हम उसी हालत में सो गये. सुबह उठ कर हम दोनों ने साथ ही टब में नहाया और मैंने भाभी के एक- एक अंग को रगड़- रगड़ कर धुला. इसके बाद भी हम जब तक मम्मी- पापा वापस नहीं आए हर दिन सेक्स का आनंद लेते रहे. अब भी कभी मौका मिलता है तो हम शुरु हो जाते हैं. हम साथ में घर पर ही नेट पर पोर्न साइट्स देखते हैं. मुझे तो साड़ी सेक्स बहुत पसंद है. एक- एक कपड़ा ब्लाउज, साडी, ब्रा और पेटीकोट खोलने का मज़ा कुछ और ही है.

दोस्तों आपको मेरी ये कहानी कैसी लगी आप मुझे मेल करके जरूर बताइए-
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