अब हम इस बात पर विचार करने लगे कि हम जेंट्स टॉयलेट में चुदाई करेंगे या लेडीज टॉयलेट में. बात करने के बाद हमने लेडीज टॉयलेट में चुदाई करने का प्रोग्राम बनाया और तय हुआ के पहले श्वेता अंदर जाएगी और उसके बाद मैं अंदर जाऊंगा…
इस कहानी का पिछला भाग: रिया की मदद से फिर मिली चूत- भाग 1
अन्तर्वासना के पाठकों को मेरा नमस्कार. पिछले भाग में आपने जाना कि कैसे मैंने श्वेता को सेट किया. तो दोस्तों आगे हुआ यूँ कि हमने मूवी बीच में ही छोड़ दी और इंटरवल के बाद फ़ूड कोर्ट में ही रुकने का फैसला किया. इस दौरान श्वेता पूरी तरह से गर्म और उत्तेजित हो चुकी थी. मैंने मौका देखते हुए श्वेता को सिनेमा हॉल के टॉयलेट में चुदाई के लिए किसी तरह मना लिया.
अब हम इस बात पर विचार करने लगे कि हम जेंट्स टॉयलेट में चुदाई करेंगे या लेडीज टॉयलेट में. बात करने के बाद हमने लेडीज टॉयलेट में चुदाई करने का प्रोग्राम बनाया और तय हुआ के पहले श्वेता अंदर जाएगी और उसके बाद मैं अंदर जाऊंगा.
श्वेता प्लान के मुताबिक़ टॉयलेट के अंदर गयी और सबसे साइड वाले टॉयलेट में जाकर बैठ गयी. मैंने भी प्लान के अनुसार उसके पीछे पूरी निगरानी करते हुए कदम बढ़ाये और कुछ देर बाद हम दोनों एक दूसरे के साथ एक ही टॉयलेट में कैद थे. अब चुदाई करने के लिए हमारे पास आधा घंटा से ज्यादा का समय था.
मैंने बिना कुछ सोचे समझे श्वेता का हाथ पकड़ कर अपने लौड़े पर रख दिया और उसे अपने पास खींच कर उसे कस के पकड़ लिया और उसके होठों पर चुम्बन जड़ दिया.
चुदाई के लिए उत्तेजित होने के कारण उसने तुरंत ही मेरा पूरा साथ देना शुरू कर दिया. कुछ ही समय में मेरे हाथ उसके चूचों पर थे और उसका हाथ मेरे लौड़े को आगे पीछे कर रहा था. मैंने समय न गंवाते हुए उसका टॉप उतार दिया और ब्रा के ऊपर से ही उसकी चूचियों को दबाने लगा. मेरे इतना करने से उसके मुंह से कामुक आवाजें आने लगी थीं, तो मैंने उसकी आवाज़ को एक लम्बे चुम्बन से बंद कर दिया.
अब मैंने देर न करते हुए उसकी ब्रा, जीन्स और पैंटी निकाल फेंकी और उसने भी मुझे निर्वस्त्र कर दिया. अब हम दोनों नंगे ही एक दूसरे से चिपके हुए थे और चुदाई करने के लिए पूरे उत्तेजित थे. मुझसे ज्यादा, चुदने के लिए श्वेता उत्तेजित और उत्साहित थी.
मैंने इशारों में उसे घुटनों पर बैठने के लिए कहा और उसके बैठते ही उसके बाल पकड़ कर अपना 7 इंच लम्बा लौड़ा उसके मुंह में ठूंस दिया.
श्वेता मेरी सोच के विपरीत मेरे लंड को मुझे भूखे इंसान की तरह गप- गप करके चूसने और चाटने लगी. मैं आपको बता नहीं सकता कि वह कितना अच्छा माउथ जॉब दे रही थी. ऐसा एहसास मुझे आज तक किसी भी लड़की ने नहीं करवाया था. पांच- सात मिनट बाद जब मुझे लगा कि मेरा निकलने वाला है, तो मैंने उसे अलग कर दिया. क्योंकि मैं श्वेता को अलग और बढ़िया ढंग से चोदना चाहता था.
अब मैंने उसे टॉयलेट की सीट पर टांग फैला कर बैठने को कहा और जैसे मैंने उसे बताया था, झट से वह वैसे ही अपनी चूत मेरी तरफ करके सीट पर बैठ गयी.
अब मैंने उसकी दोनों टाँगे उठा कर अपने कंधे पर रखा और घुटनों पर बैठ कर उसकी चूत को चाटना चालू किया. कुछ ही देर में उसके मुंह से तेज़ और कामुक सिसकारियां निकलने लगीं. मैंने जगह की नज़ाकत को देखते हुए अपने हाथ से उसका मुंह दबा लिया और उसकी सिसकरियां उसके मुंह में ही दब कर रह गयी.
लगभग 10 मिनट बाद श्वेता की हिम्मत जवाब दे गयी और उसकी चूत ने कामरस छोड़ दिया. जिसे मैं सारा का सारा चाट गया और वो निढाल होकर टॉयलेट सीट पर पड़ी रही. अब तक मेरा लंड तना हुआ था और कामोत्तेजना की वजह से फटने को हो रहा था. मैंने एक बार फिर श्वेता के मुंह में ज़बरदस्ती लण्ड ठूंस दिया और वो फिर उसे चूसने लगी.
दो मिनट बाद मैंने उसे उठने का इशारा किया और खुद सीट पर बैठ गया. मेरा लंड टॉयलेट की छत की तरफ सीधा तना खड़ा था. श्वेता को समझने में देर न लगी और वो झट से टांग फैला कर मेरे लण्ड के ऊपर अपनी चूत सेट करके बैठ गयी लेकिन उसने बस मेरे लंड का टोपा अंदर लिया.
मैंने देर न करते हुए नीचे से अपने चूतड़ उठा कर आधे से ज्यादा लंड उसकी चूत में ठूंस दिया और इससे हमले से अनजान होने की वजह से वह चिल्ला पड़ी. जिसे मुझे अपने होंठों को उसके होठों से लगाकर शांत करवाना पड़ा. अब मुझसे रुका नहीं जा रहा था. तक मैंने उसके चूतड़ पकड कर उसे जोर से अपने लंड पर बैठा लिया.
श्वेता अब किसी भूखी रंडी की तरह मेरे लंड पर ऊपर- नीचे कूद रही थी.
अब मैंने उसे उठने का इशारा किया पर उसने मेरे तरफ आँखें निकाल कर यूँ ही बैठे रहने का इशारा दिया. मैंने भी झट से उसकी टाँगे पकड़ कर खड़े होकर उसे दीवार से लगा दिया. मतलब कि श्वेता के पूरे शरीर का बोझ मेरे ऊपर था और वो हवा में दीवार से सटी हुई चुद रही थी.
बिना किसी पूर्व सूचना के हो रही ये चुदाई बिना कंडोम के चल रही थी और कसम से मुझे जन्नत का मज़ा दे रही थी. श्वेता अपने दोनों हाथों से मेरा मुंह पकड़ कर मुझे चूम रही थी. अपनी जीभ मेरे मुंह के अंदर बाहर कर रही थी और नीचे से मैं उसकी चूत में लंड अंदर बाहर कर रहा था.
ये चुदाई मुझे हद से ज्यादा मज़ा दे रही थी. मैंने अपने एक हाथ से न जाने क्यूँ श्वेता की गांड में बीच वाली अंगुली घुसा दी और अपने ऊपर अचानक हुए इस हमले से वह चिल्ला पड़ी.
अब तक मेरे हाथ दर्द करने लगे थे सो मैंने उसे नीचे उतारा. उसके हाव- भाव से लग रहा था, जैसे उसकी जांघें दुःख रही हों. मैंने अब उसका मुंह दीवार की तरफ कर दिया, और बिना बताये उसकी गांड में अपना 7 इंच लम्बा लंड ठूंस दिया और उसके मुंह को अपने हाथ से दबा कर पीछे से ताबड़तोड़ धक्के मरने चालू कर दिया.
थोड़ी देर बाद जब श्वेता भी अपनी गांड आराम से मराने लगी तो मैंने उसके मुंह से हाथ हटा कर उसके दोनों चूचों को अपने हाथों से दबाना, मसलना शुरू कर दिया.
हम दोनों इस कामवासना का पूरा मज़ा ले रहे थे, लेकिन करीब 20 मिनट की चुदाई के बाद मेरा लंड जवाब दे गया और मैंने अपना पूरा रस उसकी गांड में ही छोड़ दिया. हम दोनों ही इस कामवासना की काम-क्रीड़ा से बेहद थक गये थे. इतना कि पसीने से हमारे शरीर पूरे लथपथ थे. मैंने श्वेता को समय दिखाते हुए आगाह किया कि मूवी खत्म होने वाली है और वो बात की गंभीरता को समझते हुए कपड़े पहनने लगी.
मैंने भी देर न करते हुए अपने कपड़े पहने और निकलने से पहले हम दोनों ने एक आखिरी और लम्बा सा चुम्बन किया और पूरी सावधानी से बाहर निकल आये. फिर चुप- चाप फ़ूड कोर्ट में आकर बैठ गये. श्वेता पूरी तरह से संतुष्ट दिखाई दे रही थी और मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी. हमने देर न करते हुए वहां से निकल कर घर चलने का फैसला किया. सच कहूँ तो ये मेरी उस दिन तक की सबसे रोमांचक, खतरनाक और बेहतरीन चुदाइयों में से एक थी.
उस दिन के बाद मेरे पास चूत और पैसा, दोनों में से किसी चीज़ की कमी नहीं रही. मैंने इसके बाद श्वेता और रिया को साथ में भी चोदा, लेकिन वो कहानी अगली बार. तब तक के लिए आपके सुझाव व ईमेल सादर आमंत्रित हैं.