मेरी बात सुनकर रूपा और रुपेश हंसने लगे. रुपेश हँसते हुए ही अपनी पैन्ट भी उतारने लगा. उसने मुझे थोड़ा झुकने को कहा. मैं कुछ समझ पाता इससे पहले ही रुपेश ने मेरी गांड पे ढेर सारा थूक लगा दिया और अपना लंड मेरी गांड में डालने लगा……
दोस्तों जैसा कि मैं अपनी पिछली कहानियों रूपा का रूप और सेक्स का पुजारी- भाग१ और रूपा का रूप और सेक्स का पुजारी- भाग2 में बता चुका हूँ कि किस तरह मेरी मौसेरी बहन रूपा और उसका भाई रुपेश गर्मियों की छुट्टी में मेरे घर रहने आये थे और किस तरह मै रूपा की चुदाई अपने कमरे में कर रहा था.
रूपा और मै अपनी चुदाई में मशगूल थे. रूपा बेड पे घोड़ी बनी हुयी थी और मैं बेड से नीचे खड़ा लगातार उसकी गांड में ऊँगली करता हुआ अपने लंड से उसकी चूत चोदे जा रहा था. तभी मुझे एहसास हुआ कि मेरे चूतडों पे कोई हाथ फेर रहा है. मेरे दिमाग में एक दम से बत्ती जली कि उत्तेजना में हमने तो कमरे का दरवाजा ही नहीं बंद किया था…..
ये हाथ रुपेश का था. एक समय के लिए मै सन्न रह गया. मेरी घिघ्गी बंध गयी थी. लेकिन आश्चर्यजनक रूप से रूपा के चेहरे पे कोई डर नहीं था. मेरा लंड अभी भी रूपा की चूत में ही था. तभी रुपेश ने सन्नाटे को तोड़ा.
रुपेश- और बहनचोद! मजा आ रहा है चूत चुदाई में!
मैं- मुझे माफ़ कर दो! दुबारा ऐसा नहीं करूंगा!
मेरी बात सुनकर रूपा और रुपेश हंसने लगे. रुपेश हँसते हुए ही अपनी पैन्ट भी उतारने लगा. उसने मुझे थोड़ा झुकने को कहा. मैं कुछ समझ पाता इससे पहले ही रुपेश ने मेरी गांड पे ढेर सारा थूक लगा दिया और अपना लंड मेरी गांड में डालने लगा.
मैंने कहा- ये क्या कर रहे हो? मैंने कहा न दुबारा ऐसा नहीं होगा.
रुपेश- चुप साले! चुपचाप रूपा की चूत चोद! और मैं तेरी गांड मारूँगा!
कहकर उसने अपना लंड मेरी गांड में पेल दिया. मेरी तो चीख ही निकल गयी. अब रुपेश धीरे-धीरे मेरी गांड में धक्के लगाने लगा. उसके धक्कों की वजह से मेरा लंड भी रूपा की चूत में अपने आप अंदर-बाहर कर रहा था.
कुछ देर के बाद सच कहूँ तो मुझे भी मजा आने लगा. अजीब सा अनुभव था. इधर रूपा भी अपनी गांड आगे पीछे करके मेरा लंड अपनी चूत में ले रही थी. तभी रुपेश मेरी गांड में ही झड़ गया.
मैं और जोर से रूपा की चूत चोदने लगा. जब मैं झड़ने को हुआ तो रूपा ने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया. मैं उसके मुँह में ही झड़ गया. वीर्य की आखिरी बूँद तक रूपा गटक गयी. अब हम तीनो निढाल हो गये और वहीँ बिस्तर पर लेट गए.
तब रुपेश ने बताया कि वो और रूपा कई बार हमबिस्तर हो चुके हैं. थोड़ी ही देर बाद रूपा उठी और रुपेश का लंड चूसने लगी. रुपेश अभी भी बिस्तर पे पड़ा हुआ था. मैंने देखा की रूपा बिलकुल किसी पोर्न फिल्म के एक्ट्रेस की तरह लंड चूस रही थी.
उसके इस कामुक तरीके से लंड चूसने को देखकर मेरे लंड में फिर से तनाव आने लगा. अब तक रुपेश का लंड भी खड़ा होकर अपने पूरे आकार में आ चुका था. रूपा ने रुपेश के लंड के ऊपर अपनी चूत का छेद टिकाया और एक ही झटके में पूरा लंड निगल गयी. मैंने भी मौके का फायदा उठाते हुए अपना लंड रूपा के मुँह में दे दिया.
अब रूपा मेरा लंड चूस रही थी और रुपेश के लंड को अपनी चूत में लेकर उठ बैठ रही थी. क्या मस्त सीन था. जब मेरा लंड पूरा कड़क हो गया तो रूपा की पीठ की ओर आ गया.
मैंने ढेर सारा थूक अपने लंड पे लगाया और रूपा की कमर को पकड़ लिया. अब गांड चुदाई की बारी रूपा की थी. रूपा की गांड के भूरे छेद पे लंड को रखकर धक्का देना शुरू किया. रूपा ने रुपेश के लंड को अपनी चूत में भर तो रखा था लेकिन अब वो उसपे कूद नहीं रही थी.
कुछ ही देर में मेरा पूरा लंड रूपा की गांड की सैर कर रहा था. तभी रुपेश ने नीचे से अपनी गांड उछाल-उछाल कर रूपा की चूत चुदाई शुरू कर दी. ऊपर से मैं भी रूपा की चूचियों को मसलते हुए उसकी गांड चोदने लगा. रूपा अब दो लंड के बीच में सैंडविच बनी हुयी थी.
रूपा के मुँह से मादक सीत्कारें निकल रही थी. उफ्फ्फ….आआहा…. इस्स्स्सीईई की आवाजें कमरे का तापमान और बढ़ा रही थीं. अब रूपा की एक चूची मैं मसल रहा था और दूसरी चूची रुपेश पी रहा था. रूपा की गांड काफी टाईट थी और मेरा मूसल जैसा लंड उसकी गहराई नापने में व्यस्त था.
लंड के हर धक्के पे रूपा के चूतड़ हिलते तो मेरा जोश दुगुना हो जाता. तभी रुपेश ने इशारा किया तो मैं रूपा के मुँह की तरफ आ गया. रूपा मेरे लंड का मुखमैथुन करने लगी और रुपेश रूपा की गांड मारने लगा. रूपा अपनी चूत को अपने हाथ से मसल रही थी. मैं नीचे-नीचे ही रूपा की दोनों टांगों के बीच में पहुंचा और उसकी चूत चूसने लगा. उपर से गांड चुदाई हो रही थी और नीचे से रूपा की चूत चुसाई.
रूपा ने जल्दी ही अपना पानी छोड़ दिया. तब तक रुपेश ने भी अपने लंड से निकलते गाढे रस से रूपा की गांड भर दी.
फिर हम तीनों साथ-साथ ही बाथरूम में गये. वहाँ बाथरूम में भी हमारी मस्ती कम नहीं हुयी. मैंने और रुपेश ने अपने-अपने शरीर पे साबुन मल लिया. फिर मैं आगे से और रुपेश पीछे से रूपा को पकड़ कर अपने शरीर का साबुन रूपा के शरीर पे लगाने लगे. वहां भी चुदाई का एक राउंड चला. जब मैं रूपा की चूत में अपना लंड डाले पड़ा था तो रुपेश ने एक बार फिर मेरी गांड में अपना लंड डाल दिया.
जब हम बाहर निकलकर अपने कपड़े पहन चुके थे उसके काफी देर बाद मेरे माता-पिता आये. फिर हम तीनों को जब भी मौका मिलता हम तीनों मिलकर चुदाई का दौर चलाते. एक बार तो मैंने भी रुपेश की गांड मारी.
गर्मियों की छुट्टियाँ भी ख़त्म हो गयीं. रुपेश और रूपा अपने घर चले गए. उन दोनों से अब कम मिलना हो पाता है. लेकिन जब भी मिलते हैं, चूत चुदाई और गांड चुदाई का प्रोग्राम जरूर बनता.
दोस्तों ये मेरी कहानी थी. कहीं कोई त्रुटी रह गयी हो तो क्षमा कीजियेगा. मेरी मेल आई डी है.