मैंने तुरंत से रूपा को बेड पे लिटाया और उसकी स्कर्ट खींच दी. रूपा ने भी खुद से ही अपना टॉप उतार दिया. अब वो सिर्फ ब्लैक ब्रा और पैंटी में थी. मैंने दोनों हाथों से उसकी चूचियों को ब्रा के उपर से मसलना शुरू किया. फिर उसकी पैंटी के उपर से उसकी चूत को अपने होठों से पकड़ने लगा.
दोस्तों इस कहानी के पिछले भाग रूपा का रूप और सेक्स का पुजारी- भाग१ में मैंने बताया था कि कैसे मैंने अपनी मौसी की लड़की रूपा की चूत का हस्तमैथुन किया था. लेकिन जब से मैंने नहाते समय रूपा का नंगा बदन देखा तो मैं उसे पाने के लिए तड़प उठा.
मैं तो बस मौके का इन्तजार कर रहा था कि कैसे रूपा की गुलाबी गुफा में अपने 6 इंची शेर का घर बनाऊं. वैसे भी रूपा मेरे इस शेर को अपने हाथों में ले ही चुकी थी. बस अपनी टांगों के बीच में लेना बाकी रह गया था.
उस दिन नाश्ता वगैरह करके मैं, रूपा और रुपेश तीनों सोफे पे बैठकर टीवी देख रहे थे. रूपा हम दोनों के बीच में बैठी थी. मैं फ़ुटबाल का मैच लगा कर देख रहा था. मैच काफी बोरिंग था और रुपेश और रूपा को भी शायद इसमें कोई मजा नहीं आ रहा था.
रिमोट मेरे लंड के ठीक ऊपर रखा था. मैं झपकी भी ले रहा था. इसी वजह से शायद मैं रुपेश की आवाज सुन नही पाया. वो मुझसे चैनल बदलने के लिए रिमोट माँग रहा था. पर मैं उनींदा होने की वजह से सुन नही पा रहा था. तब रुपेश ने रूपा से रिमोट लेकर देने को कहा. रूपा ने रिमोट जब उठाया तो साथ में मेरे लंड को भी दबा दिया. मैं चौंक कर उठ गया. रूपा मुस्कुरा रही थी.
मै समझ गया कि ये भी चुदने को बेकरार है. खैर मैं उस वक़्त उठ कर मेरे कमरे में आ गया. थोड़ी देर बाद रूपा भी मेरे कमरे में आ गयी.
मैंने पूछा- रुपेश क्या कर रहा है?
रूपा- उसका क्रिकेट मैच आ रहा है. अब वो पूरा दिन उसी में मशगूल रहेगा.
मै- और तुम क्या करोगी?
रूपा- सोच तो रही थी कि तेरे साथ क्रिकेट खेलूँ पर तुझे तो नींद आ रही है.
मै- मेरे साथ क्रिकेट….. कैसे?
रूपा अपनी चूचियों को हाथों से पकड़ कर बोली- सोच रही थी कि तेरे बल्ले से अपने बॉल लडाऊं.
सच बताऊं दोस्तों उसकी इस अदा पे मैंने सोचा कि अभी इसे पटक कर चोद दूं. लेकिन भावनाओं पे काबू रखता हुआ बोला- और माँ –पापा का क्या?
रूपा- वो तो बाजार गए हैं. कम से कम एक डेढ़ घंटा तो लगेगा ही. और मेरे सामने तुम आधे घंटे से ज्यादा बैटिंग तो कर नही पाओगे??
मैं अपने बिस्तर से उठा और रूपा को अपनी बाहों में भर कर बोला- तुम चाहो तो १५ मिनट में ही डेढ़ घंटे का मजा दे सकता हूँ.
मैंने तुरंत से रूपा को बेड पे लिटाया और उसकी स्कर्ट खींच दी. रूपा ने भी खुद से ही अपना टॉप उतार दिया. अब वो सिर्फ ब्लैक ब्रा और पैंटी में थी. मैंने दोनों हाथों से उसकी चूचियों को ब्रा के उपर से मसलना शुरू किया. फिर उसकी पैंटी के उपर से उसकी चूत को अपने होठों से पकड़ने लगा.
अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था. मैंने कहा- रूपा! अब मुझसे सहन नहीं हो रहा अब मैं तुम्हारी झांट रहित चिकनी चूत द्देखना चाहता हूँ.
रूपा ने चौंकते हुए पूछा- तुम्हें कैसे पता कि मैंने अपनी झांट साफ़ की है?
तब मैंने उसे बताया की कैसे मैंने सुबह नहाते वक़्त उसका पूरा नंगा बदन और उसकी हर क्रिया कलाप को देख लिया था.
रूपा ने कहा- तू तो बड़ा हरामी है. तुझसे चुदने में मजा आएगा.
फिर रूपा ने एक एक करके मेरे सारे कपड़े ऊतार दिया फिर मेरे लंड को हाथ में लेकर बोली- तेरा लंड रुपेश से लम्बा है लेकिन उससे थोड़ा पतला है.
अब चौंकनेकी बारी मेरी थी. मैंने कहा- इसका मतलब तू रुपेश से भी चुद चुकी है.
रूपा ने कहा- हाँ चुदवा चुकी हूँ! लेकिन सिर्फ अपनी गांड. वो गांडू है. सिर्फ गांड मारना जानता है. एक बार जब मै अपने बॉयफ्रेंड से घर पे ही चुद रही थी तो जाने कैसे उसने हमारी विडियो बना ली. फिर उस दिन उसने मेरे बॉयफ्रेंड की गांड मारी और बाद में मेरी.
रूपा की बातें सुनते-सुनते मैं उसकी पैंटी नीचे कर चुका था. मैंने रूपा की गांड की छेद को देखा. भूरे रंग का वो छेद भी कम आकर्षक नहीं था. लेकिन मुझे तो उसकी गुलाबी गुफा मी घुसना था. मैंने रूपा की टांगों को फैलाया और उसकी चिकनी चूत पे एक बार हाथ फेरा. रूपा सिहर उठी. पहले तो मैंने अपने अंगूठे से ही उसकी चूत के दाने को रगड़ा. फिर अपने होठों को रूपा की चूओत के होठों से चिपका दिया. क्या स्वाद था उसकी चूत का?
फिर मैं रूपा के गुलाबी छेद को अपनी जीभ से चोदने लगा. उसके मुंह से “उफ्फ्फ्फ़…. सीईई…. आआह्ह….” आवाजें आने लगीं.
रूपा अपनी टांगों के बीच में मेरा सर दबाने लगी. अब मैं उठा और पलट कर रूपा के सर की ओर चला आया. मैंने उसी ब्रा उतार कर उसकी चूचियों को आजाद कर दिया. और अपना लंड उसके मुँह में पेलने लगा. मेरे दोनों हाथ रूपा की चूचियों को मसल रहे थे और मेरा लंड गपागप रूपा का मुखचोदन कर रहा था.
लेकिन अब समय आ गया था कि रूपा की चूत को अपने लंड का स्वाद चखाया जाय. अब तक रूपा की चूत भी पूरी तरह पनिया चुकी थी. मैंने रूपा की टांगों को एक बार फिर फैलाया, उसकी चूत पे एक चुम्मी दी और फिर अपने लंड को उसकी चूत द्वार में टिका दिया. रूपा अपने हाथों से अपनी चूचियों को मसले जा रही थी. और बोले जा रही थी- अब चोद भी दे यार!! कितना तड्पाएगा?
मैंने जोर से अपने लंड को एक झटका दिया और मेरा पूरा लंड सरसराता हुआ रूपा की चूत के अंदर.
रूपा के मुँह से एक हल्की सी “हाय्य्य…” निकली और उसने मुझे जोर से पकड़ लिया. रूपा ने कहा- अब दिखा अपना और अपने इस लंड का दम?
मैं तेज स्पीड से धकाधक रूपा को चोद्ने लगा. क्या असीम सुखद एहसास था? अचानक मैंने देखा रूपा अपपनी एक ऊँगली अपनी गांड में डाल रही है. मैंने पूछा तो उसने कहा- ये मजे को दुगुना कर देती है.
तब मैंने रूपा को घोड़ी बनने को कहा. रूपा अपने घुटनों के बल होकर बेड के बिलकुल किनारे पे आ गई और मैं बेड के नीचे खड़ा होकर उस्क्की चूत ठोंकने लगा. साथ ही साथ मैं अपना अंगूठा रूपा की गांड पे फिराने लगा. कभी कभी अंगूठा उसकी गांड में डाल भी देता. उसे खूब मजा आ रहा था.
रूपा ने कहा- मेरा होने वाला है… और तेजी से चोद… अआह्ह्ह..
झड़ने वाला तो मैं भी था. तभी मुझे एहसास हुआ कि मेरे चूतडों पे कोई हाथ फेर रहा है. मेरे दिमाग में एक दम से बत्ती जली कि उत्तेजना में हमने तो कमरे का दरवाजा ही नहीं बंद किया था…..
आगे क्या हुआ? ये जानने के लिए मुझे खूब सारे मेल कीजिये और मेरी अगली कहानी का इन्तजार.