कुछ देर तक कपड़े के ऊपर से मम्मे दबाने के बाद मैंने उसकी कुर्ती में हांथ डाल दिया. वो ब्रा नहीं पहने हुई थी. क्या मस्त बोबे थे यार! जब मैंने उसके मम्मों को दबाया तो वो धीरे से बोली धीरे – धीरे मसलो ना तेज मसलने में दर्द होता है. फिर थोड़ा रुक कर बोली – अगर टाइम मिले तो बाद में आ जाना पूरा मजा दूँगी जीजाजी. उसके मुंह से यह सुन कर अब तो मेरा लंड और भी मस्त होने लगा था. फिर मैंने उसका हांथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया…
नमस्कार दोस्तों! मैं पिछले तीन साल से अंतर्वासना का नियमित पाठक हूं. यहां पर जितनी भी कहानियां प्रकाशित की जा चुकी हैं, मैंने लगभग हर एक कहानी को पढ़ रखा है. इन कहानियों में से मुझे कुछ कहानियां सच्ची लगती हैं तो कुछ झूठी भी लगती हैं.
खैर अब मैं आपका ज्यादा समय न लेते हुए अपनी कहानी पर आता हूं. बात मार्च महीने की है, उन दिनों हर तरफ हर किसी पर होली का खुमार चढ़ा था. मेरे साले की अभी छह महीने पहले ही शादी हुई थी. उनकी बीबी का नाम अंजू है. मेरा साला बाहर शहर में नौकरी करता है. इसलिए घर कभी – कभी ही आता है. शुरू में उसकी बीबी बहुत ही दुबली पतली थी. अब जब मैं छह महीने बाद अपने ससुराल गया तो इस बार मुझे उसकी उछाल मारती जवानी दिखाई दी. मतलब छह महीने में ही उसके फिगर में जबरदस्त निखार आ गया.
होली के पर्व पर मैं जब अपने ससुराल गया तो जब मैंने साले की बीवी को देखा तो अनायास ही मेरे मुंह से निकल गया वाह क्या जवानी उछाल मार रही है. तो उसने पलट के जवाब – उछाल मार रही है तो रोक लो ना . बस फिर क्या था, अब तो मुझे ग्रीन सिग्नल मिल गया था. बाहर सभी लोग होली के रंग में सराबोर हो रहे थे. अभी मैं अंदर ही बैठा था, जब रंग लगाने का समय आया तो मैंने उसको पीछे से कस कर पकड़ लिया.
उसे कस कर पकड़ने की वजह से मेरा लंड उसकी गांड में कपड़े के ऊपर से ही फिट हो गया. मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था. फिर मैं उसके मुंह पर रंग लगाने लगा. वो भी अपनी गांड को मेरे लंड पर दबा रही थी. ऐसा लग रहा था जैसे कि वह मेरे लंड का ताव देख रही हो. मुंह पर रंग लगते – लगते मैंने कपड़ों के ऊपर से ही उसके मम्मे दबाना शुरू कर दिया.
कुछ देर तक कपड़े के ऊपर से मम्मे दबाने के बाद मैंने उसकी कुर्ती में हांथ डाल दिया. वो ब्रा नहीं पहने हुई थी. क्या मस्त बोबे थे यार! जब मैंने उसके मम्मों को दबाया तो वो धीरे से बोली धीरे – धीरे मसलो ना तेज मसलने में दर्द होता है. फिर थोड़ा रुक कर बोली अगर टाइम मिले तो बाद में आ जाना पूरा मजा दूँगी जीजाजी. उसके मुंह से यह सुन कर अब तो मेरा लंड और भी मस्त होने लगा था. फिर मैंने उसका हांथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया.
अब उसने मेरे लंड को हल्के से दबा दिया और बोली – जीजी तो इसे अंदर लेकर मस्त हो जाती होंगी न जीजा जी?
मैं बोला – हां वो तो हो ही जाती है और तुम भी हो जाओ ना. क्या दिक्कत है?
इस पर वो बोली – फिर 2 दिन बाद आ जाना और हमें भी मस्त कर देना.
मेरे मन में अब लड्डू फूटने लगे कि कब दो दिन निकले और हम उसकी जवानी का रस पिएं. दो दिन बाद दोपहर को मैं उसके घर पहुंच गया. गर्मी की दोपहर में अक्सर घर पर रहने वाली औरतें सोने लगती हैं. जब मैंने बेल बजाई तो वह अलसाई सी उठ कर आई और दरवाजा खोलते ही बोली – अरे जीजा आप, अंदर आ जाओ. मैं तो बहुत बेचैन था. अंदर घुसते ही मैंने अंजू को अपनी बाहों में ले लिया और बेतहाशा चूमने लगा.
जिस पर वो बोली – अरे थोड़ा सबर तो रखो.
मैंने कहा – मेरी जान सबर कहां है अब. मेरी जान अब तो बस अपनी बुर के दर्शन करा दो.
वो बोली – अरे पहले अंदर तो आ जाओ जीजू.
फिर हम बेड रूम में पहुंच गए तो अंजू बोली – बहुत खड़ा हो रहा था उस दिन आपका. अब निकालो मैं भी देखती हूं, कितना दम है तुम्हारे औजार में?
मैं बोला – तुम सुभाष से खुश नहीं हो क्या?
अंजू बोली – मस्त तो उनका भी है, मगर उनका थोड़ा छोटा है यार मजा कम आता है. जीजी से कई बार सुना था कि आप रात भर उनको बहुत तंग करते हो.
फिर अंजू ने अपनी साड़ी खुद ही उतार दी और बोली कि जीजू, बाकी कपड़े तुम उतारो. अब मैंने भी देर न करते हुए उसके पेटीकोट का नाड़ा खींच दिया. वो ब्लैक कलर की पैंटी में मेरे सामने आ गई थी. मैं पेंटी के ऊपर ही हाथ फिरने लगा. फिर मैंने धीरे से अपना हाथ उसकी पैंटी में घुसा दिया. क्या चिकनी चूत थी उसकी! एक भी बाल नहीं था यारों. यह देख कर मैं बोला – क्या बात है अंजू डार्लिंग, सारी तैयारी कर रखी है तुमने.
अब मैंने उसकी पैंटी भी नीचे सरका दी और अब बारी थी ब्लाउज की. तो मैंने उसका ब्लाउज भी खोल दिया और साथ में ही ब्रा को भी. अब तो मस्त जवानी पूरी हमारे सामने खड़ी थी. बिलकुल मादर जात स्थिति मे थी. मैंने उसकी गांड पर हांथ फिराना शुरू कर दिया और मेरे होंठ उसके होंठों से मिले हुए थे. उसके बोबे मेरी छाती पर चिपक रहे थे और अंजू के एक हांथ में मेरा लंड था और वह धीरे – धीरे मेरे लंड को सहला रही थी. फिर वो अचानक ही बोल पड़ी – जीजू, बड़े ही मस्त चुदक्कड़ हो तुम तो.
अब मैंने धीरे से उसको बेड पर लिटाया और उसके टाँगे चौड़ी कर दी और अपना मुंह उसकी चिकनी चूत पर लगा दिया और अपनी जीभ को उसकी मस्त चूत में घुसा कर घुमाने लगा. वो एकदम मस्त होने लगी और बोली – जीजू क्या कर रहे हो! यार यह मजा तो कभी मुझको मिला ही नहीं. मैं तो आज मस्त हो गयी. यार जीजू अब समझ आया जीजी इतनी मस्त क्यों रहती है .
कुछ देर तक उसकी चूत चूसने के बाद वो झड़ गई और मैं उसका सारा चूत रस पी गया. फिर मैं उठा और उसकी चूत पर अपना लंड सेट करके घिसने लगा. जिससे वो तड़पने लगी और कहने लगी – जीजू प्लीज अब डा़ल दो न, अब मुझसे रुका नहीं जा रहा है. मैंने भी और देर करना ठीक न समझा और एक ही झटके में पूरा लंड उसकी चूत में घुसेड़ दिया. उसे हल्का सा दर्द हुआ लेकिन उसने कहा कुछ नहीं.
अब मैं लगातार धक्के लगाने लगा और वो लेटे – लेटे आहें भर रही थी. उसकी ये आहें मुझे और भी उत्तेजित कर रही थी. करीब 10 मिनट की धकापेल चुदाई के बाद मेरी रफ्तार बढ़ने लगी और उसकी आहें भी बढ़ने लगीं. 4-6 धक्के लगाने के बाद मैं उसकी चूत में झड़ गया और लंड उसकी चूत में ही डाले उसके ऊपर लेट गया. मुझे महसूस हो रहा था कि जैसे उसकी चूत मेरे लंड की एक -एक बूंद फुदक कर चूस रही है. मुझे बहत ही मजा आ रहा था.
उसके बाद मैंने एक बार और उसकी चुदाई की और फिर अपने घर चला आया. अब जब भी मैं अपनी ससुराल जाता हूं, उसकी चुदाई किए बिना वापस नहीं आता.
तो दोस्तों ये मरी सच्ची कहानी थी. आप लोगों को कैसी लगी? मुझे मेल करते जरूर बताएं.
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