ऐसी बातें करके शबनम उसे ओपन करने की कोशिश कर रही थी. वो चाहती थी कि सलीम आए उसे दबोचे, चूमे-चाटे और उसे पूरी तरह निचोड दे…
दोस्तों मेरा नाम अमर है. मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूं. मैंने अन्तर्वासना पर कई कहानियां पढ़ हैं और उनको पढ़ कर मैने भी सोचा कि अपनी कहानी आप लोगों के साथ साझा करूं. यह मेरी पहली कहानी है, उम्मीद करता हूं आप लोगों को पसन्द आएगी.
सलीम और शबनम दोनो भाई-बहन हैं. सलीम की उम्र 18 साल है और शबनम की उम्र 20 साल है. उम्र का ज्यादा फासला न होने के कारण वो एक – दूसरे के अच्छे दोस्त भी थे. दोनों में काफी अच्छी बनती थी. कॉलेज कि सारी बातें वो एक – दूसरे से शेयर करते थे. सलीम अक्सर शबनम को उसके ड्रेसिंग के बारे में टोका करता था. उसकी जवान और खूबसूरत बहन की जवानी को लोग घूरें ये उसे अच्छा नहीं लगता था. लेकिन शबनम तो जैसे नंगी होने के लिये बेताब हो रही थी.
अरे मैंने तो आपको शबनम के बारे में बताया ही नहीं. शबनम अपने नाम कि तरह ही खुशबू बिखरते चलती थी. जब वो चलती थी तो देखने वाले अपना लंड थांम लेते थे. उसके मटकती गांड से नजर हटाना तो फकीरों के लिये भी मुश्किल था. उसके फिटिंग ड्रेस के कारण उसकी 35 की गांड 26 की कमर और 34 के बोबो का दर्शन सबको फ्री था. उसका सोने जैसा गोरा रंग और बाहों तक झूलते काले सिल्की बाल उसकी खूबसूरती में चार चांद लगाते थे. उसके लाल रसभरे होंठ देखकर किसी के भी मुंह में पानी आ जाये. उसकी काली आंखो को देखकर तो दारू की जरुरत ही नहीं पड़ती थी.
अपने बहन जैसे ही सलीम भी देखने मे खूबसूरत था. लम्बा चौड़ा सलीम कॉलेज का हीरो था. उसकी मजबूत बाहें लड़कियों के दिल में हलचल मचा देती थी. दिखने में वह भी शाहिद कपूर से कम नहीं था.
अमीर घर के ये दोनों भाई बहन अब आगे की पढ़ाई के लिये अपने छोटे शहर से निकल कर मुंबई आ गए. उनके अब्बू ने उनके लिये एक वन बीएचके फ्लैट भाड़े पर ले रखा था. जहां दोनों एक साथ रहा करते थे. दोनों भाई बहन एक ही कॉलेज में थे तो आना-जाना साथ ही था. उनके दोस्त भी सारे कॉमन थे. दिन भर घर में साथ, कॉलेज में साथ तो जाहिर है कि दोनों एक दूसरे की आदत बन चुके थे. वो एक दूसरे की सांसो से भी वाकिफ थे और शरीर से भी.
रोज कॉलेज आते जाते कई बार शबनम के बोबे सलीम की पीठ को छूकर अपनी जवानी बयां करते थे. चूंकि घर पर दोनों ही बॉक्सर में रहते थे तो शबनम की जांघ पर का काला तिल भी सलीम को पता था और कसरत करते हुये सलीम का मजबूत बदन, शबनम तो रोज ही देखा करती थी.
कभी – कभी तो बॉक्सर में से सलीम के लंड का मूड भी शबनम को समझ आता था. वो कभी – कभी उसे टोका भी करती थी कि लगता है जल्दी से भाभी लानी पड़ेगी, और फिर खिलखिलाकर हंसने लगती थी. ये सुनकर सलीम बाथरूम में जाकर अपने ही बहन को याद करके मुठ मार लिया करता था.
सलीम की बंद आंखों में शबनम कि तस्वीर थी, दिमाग में उसका नंगा बदन और हिलते हाथों से शबनम की चूत का अहसास उसे पागल कर देता था, पर फिर भी सलीम ने उस अहसास को सिर्फ अपने आप तक ही सीमित रखा. उसने कभी भी उसे शबनम पर जाहिर होने नहीं दिया और न ही कभी शबनम के खुलेपन का फायदा उठाने कि कोशिश की.
सालों की भूख , सामने पंच पकवान, खाने की घनघोर इच्छा और फिर भी संयम. इसको ही जमाना शराफत कहता है दोस्तों.
ऐसी बात नहीं थी कि शबनम अपने भाई के इरादे से बिलकुल अनजान थी. यकीन मानिए औरत आदमी कि नजर भापने में तनिक भी देर नहीं लगाती. यहां तो शबनम ने कई बार सलीम को उसके बदन को चोरी से घूरते हुए देखा था. सच तो ये है कि वो भी अपने भाई की नजर को एन्जॉय करने लगी थी. दोनों ही एक दूसरे को चाहने लगे थे, पर रिश्तों के बंधन की वजह दूरी बनाए रखे थे.
शबनम की शरारतें ये दूरी धीरे – धीरे कम कर रही थी और ये भाई बहन पहले दोस्त बनकर अब किसी नये रिश्ते कि तरफ बढ़ रहे थे. भले सलीम थोडा आलसी था पर शबनम उससे काम करवा ही लेती थी, कभी डाट के तो कभी प्यार से. घर में शबनम अक्सर बॉक्सर और टी शर्ट पहनती थी, जिसके दो फायदे थे एक तो वो कम्फर्ट फील करती थी और दूसरा सलीम आसपास ही रहा करता था.
शबनम की हर एक झलक को वो अपनी आंखो में कैद कर लेता. घर में काम करते वक्त शबनम को जब पसीना आता तो उसका सोने जैसा गोरा रंग और भी चमकने लगता था. शबनम भी उस पसीने को पोछने के लिये सलीम को बोलती, फिर सलीम आराम से उसके चांद जैसे मुखड़े को रुमाल से पोंछता और फिर दिन भर उस रुमाल को सूंघा करता था.
शबनम भी कभी – कभी उसे थैंक्स बोलकर गले लगा लेती थी. अपने भाई की मजबूत बाहों में उसको बहुत सुकून मिलता था. अपना पूरा बदन उसके बदन के साथ चिपकाकर वो सलीम की आग को और भड़का देती और जब सलीम का लंड खडा हो जाता तो उस पर हाथोड़ा मारकर हट जाती थी. यानि उसकी बाहों से निकलकर उसकी जलन को दोगुना कर देती.
कई बार सलीम भी अपनी बाहों की पकड़ मजबूत बना लेता तो शबनम को उससे छुड़ाने के लिए मेहनत करनी पड़ती, तो वो सलीम को सुना दिया करती थी…
शबनम – क्यों! सलीम मियां अपनी आपा पर ही चान्स मार रहे हो?
सलीम – मैंने क्या किया? तुमने ही तो मुझे हग किया था.
शबनम – अच्छा बेटा! हग दो सेकंड के लिये होती है. तुम तो छोड़ते ही नहीं हो.
सलीम – अच्छा लगता है अपनी खूबसूरत आपा की बाहों में. कलेजे को ठंढ़क मिलती है.
शबनम (सलीम के लंड को देखते हुए) – पर मुझे तो मामला एकदम गरम लगता है और चुभता भी है.
शबनम कि ये खुल्लम-खुल्ला बातें सुनकर सलीम आगे बात नहीं कर पाता और उसकी हालत देखकर शबनम जोर से ठहाके लगाकर हंसती है और सलीम लड़कियों की तरह शर्मा कर बेडरूम में चला जाता है.
फिर सारी बातें याद कर वह शबनम के नाम से मुठ मारा करता था और अलमारी से शबनम की चड्डी निकालकर उसे सूंघता, उसकी बिना धोई कमीज को बेड पर रखकर उसे शबनम समझकर खूब चूमता. उसकी ब्रा को चूसने लगता और फारिग होकर फिर अपनी आपा के दीदार के लिये बाहर आ जाता.
आज जैसे ही सलीम बाहर आया शबनम की बातें सुनकर वो एकदम झेंप गया.
शबनम – क्यों! सलीम हो गये फारिक ? फिर कर दिये अपने आपा के कपड़े गीले. क्या करते रहते हो तुम ? सब शर्म बेच के खा गए क्या ?
सलीम (घबरा कर) – क्या बोल रही हो तुम ?
शबनम (आंखे बडी करके शरारती अंदाज में) – चुप रहो. तुम्हें क्या लगता है, मुझे पता नहीं कि तुम अंदर जाकर कुंडी लगाकर क्या करते हो? मैंने सब देखा है.
ऐसी बातें करके शबनम उसे ओपन करने की कोशिश कर रही थी. वो चाहती थी कि सलीम आए उसे दबोचे, चूमे-चाटे और उसे पूरी तरह निचोड दे. सलीम को याद करके वो भी अपनी चूत रगड़ती थी. वह अपने बोबे खूब मसलती उसकी शर्ट को सूंघकर उसका अनुभव करने की कोशिश करती थी और उसके बॉक्सर की लंड वाली जगह चाटती और पगलों की भांति बड़बड़ाती रहती “सलीम क्यों तड़पा रहे हो अपनी आपा को, आ जाओ ना. चोदो ना मुझे. रगड़ दो न मुझे. आह… आह…सलीम…मेरी जान”.
आज भी सलीम बेडरूम में जब शबनम के नाम से मुठ मार रहा था, तब शबनम दरवाजे के होल से सब देख रही थी. जब उसने अंदर झांका तब सलीम सिर्फ अंडरविअर में था और उसमें तना हुआ उसका 7 इंच का लंड बाहर आने के लिये बेताब था. शबनम भी उसके दीदार के लिये मरी जा रही थी और सलीम आंखे बंद किए उसे मसल रहा था. शायद वो अपने आपा के जां नशीं चेहरे को याद कर रहा था. शबनम के लाल रसीले होंठ जब उसका लंड चूसेंगे तो आपा कैसी लगेगी सोच रहा था.
अचानक सलीम ने दरवाजे की खूंटी पर टंगी हुई शबनम की कमीज उठाई और उसके आर्म सूंघने लगा और बीच बीच में उसे चूमे जा रहा था. शबनम की खुशबू उसे पागल बनाये जा रही थी. सलीम ने उस कमीज को बेड पर बिछा दिया और फिर अलमारी मे से शबनम कि चड्डी निकालकर कमीज के नीचे रख दी. जैसे उसने अपने आपा को सिर्फ चड्डी और खमीज में बेड पर लिटा दिया हो.
सलीम उस कॉम्बीनेशन को देख कर मुस्कुरा रहा था अब वह अपने घुटनों पर बैठ कर दोनों हाथों से शबनम की कमीज के कमर वाले हिस्से को सहला रहा था. अब उसने उसके कमीज की नाभि वाली जगह को चूम लिया और फिर जरा सा नीचे आकर उसके चड्डी पर अपना मुंह रख दिया और उसे चूमने – चाटने लगा. वो उसे अपने दांतो से भींच रहा था जैसे कि वो उसे चबाकर खा जाएगा.
अचानक वो खड़ा हो गया और अपने अंडरविअर में से अपना लंड निकालकर उसे हिलाने लगा. फिर पांच ही मिनट में अपना ढ़ेर सारा रस शबनम के कमीज पर गिरा दिया. शांत होने के बाद उसने शबनम कि चड्डी से उसके कमीज पर गिरा अपना रस साफ कर दिया और दोनों को उनकी जगह रख दिया. ये सारा नजारा देखकर शबनम अपने बोबो कों जोर – जोर से मसल रही थी. उसकी चूत पूरी गीली हो चुकी थी. सिर्फ मसलने से ही उसके चूत ने दो-दो बार पानी छोड दिया था.
ये आग दोनों तरफ लग चुकी थी, दोनों के बदन इस आग में झुलस रहे थे, दोनों एक दूसरे की बाहों में समा जाने चाहते थे. अपना अपना पानी निकालकर दोनों कुछ वक्त के लिये इस आग को बुझा तो दिया था पर अंदर दबी हुई चिंगारी किसी भी वक्त उसे फिर से भड़का सकती थी.
अब आगे…..
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