मेरे समलैंगिक जीवन की शुरुआत

अब उसका लन्ड पूरा थूक से गीला हो गया था और मैं उसे गपागप चूसे जा रहा था. मैं उसके लन्ड की चुसाई का पूरा स्वाद ले रहा था. मेरा दोस्त भी मेरा पूरा साथ दे रहा था और बड़े ही प्यार से मेरे लौड़े को चूसे जा रहा था…

सभी को मेरा नमस्कार! मेरा नाम अभिनव है और यह मेरी पहली कहानी है, लिहाज़ा इसमें गलतियां हो सकती हैं. अगर इसमें कोई गलती हो जाए तो माफ कर देना. ये बात तब की है जब मैं 10वीं की तयारी कर रहा था. मेरा एक दोस्त भी रोज मेरे साथ पढ़ने के लिए मेरे घर आया करता था.

हम दोनों अगल – बगल बैठ के पढ़ते रहते थे. मेरे घर में पढ़ाई के समय कोई भी मेरे कमरे में झाकने तक नहीं आता था. ये बात हम दोनों अच्छी तरह से जानते थे और उस दिन घर पर दादी के अलावा और कोई भी नहीं था. माहौल तो परफेक्ट था, मगर आगे होना क्या था ये एक रहस्य था.

मेरे लिए लड़का – लड़की या किसी भी चीज में किसी भी तरह का कोई फर्क नहीं था. मैं सभी को एक ही निगाह से देखा करता था और अब भी देखता हूँ. मगर तब तक ना मैंने कभी कुछ किया था और ना कुछ सोचा था. सब कुछ बिलकुल अचानक से हुआ और मैंने एक नई शुरुआत की.

उस दिन मैंने यूं ही अपने दोस्त की जांघ पर हाथ रखते हुए कहा, “काश तू लड़की रहता साले तो पता ही नहीं चलता कि कब पढ़ाई से बात चुदाई पर आ जाती.” तभी मेरा दोस्त बोला, “मेरा भी यही सोचना है, तेरे साथ कोई मजा नहीं आता है.”

इस पर मैं बोला, “तू यहां पढ़ने आया है या मजा लेने आया है.” मेरा हाथ अभी भी उसकी जांघ पर ही था. अब मेरे दोस्त ने अपनी देह को तोड़ते हुए मेरे कंधे पर अपना हाथ रख दिया और बोला, “भाई पढ़ तो लिया चल कुछ मजा ही कर लेते हैं.”

मेरी नजर में मेरा दोस्त काफी दब्बू था, पर शायद मैंने उसके एक नए रूप को भांप लिया था. उसका चेहरा मेरे चेहरे के काफी करीब था पर मैं कोई जल्दबाजी नहीं करना चाह रहा था. अब मैंने पूछा, “क्या मजा लेना है तुझे?”

इस पर कुछ देर चुप रहने के बाद वो बोला कि अभी तो मैं बस थोड़ा लेटना चाहता हूँ और यह कहते हुए वो मेरी गोद में अपना सर रख के लेट गया. फिर उसने एक करवट ली और अपना मुंह मेरे लंड की तरफ कर दिया.

उसका चेहरा इस बार मेरे काफी करीब था और उसकी गर्म सासें महसूस कर रहा था. वो किसी कुत्ते की तरह मेरी गंध ले रहा था. अब मेरी बारी थी. अब मैंने बिना किसी झिझक के सीधे उससे बोला दिया, “साले इतने पास आ गया कि मेरा लौड़ा खड़ा हो गया. लगता है अब इसे तेरे मुंह में देना ही पड़ेगा.” इस बात पर हम दोनों ही हंस पड़े.

मैं जनता था कि कुछ नहीं होगा. वो मेरा दोस्त था और हम तो अक्सर ही ऐसी बातें किया करते थे. इसलिए मैं अगुवाई करते हुए बिना देर किए अपने दोस्त से बोला, “यार अपना लौड़ा दिखाओ ना.” उसका जवाब वैसा ही आया जो मैंने सोचा था. वो बोला, “खुद ही खोल के देख ले न यार. मगर फिर मैं भी तेरा देखूंगा.”

इस पर मैं बोला, “मेरा तो तेरे पास ही है, निकाल ले तू भी और कर ले जो करना है.” मेरा जवाब सुनते वो आगे बढ़ा. मैं लोवर में था. अब उसने एक बार में ही मेरी लोवर और अंडर वियर खींच के नीचे कर दी. इससे मेरा लंड उछल कर बाहर आ गया.

अब मैंने अपना हाथ उसके पैंट के तरफ बढ़ाया, मगर तभी वो खुद ही अपना पैंट खोलने लगा. मैं जान गया था कि इस मामले वो दब्बू नहीं है. फिर मैंने खुद ही अपने आपको नीचे से पूरा नंगा कर दिया और उसके सामने बैठ गया. तब तक उसकी भी पैंट उतर चुकी थी. अब हम एक – दूसरे के लंड को देख रहे थे.

खून में मानो गर्मी नशा और जुनून सब हावी होने लगा था. अब मैं बोला, “तो अब और आगे बढ़ा जाए!” फिर हम मुस्कुराते हुए एक – दूसरे के और करीब आ गए और हमारे होंठ मिल गए. इसके बाद फिर शुरू हुआ एक – दूसरे को चूमने का सिलसिला. अब हम दोनों एक – दूसरे के होंठों को और जबान को बुरी तरह चबा रहे थे और नीचे हमारे लन्ड आपस में टकरा रहे थे.

कुछ ही पल में हम दोनों पूरे नंगे हो गए थे. अब हमारे बदन आपस में रगड़ खा रहे थे. पूरे कमरे में आहें भरने की आवाजें आ रही थीं. ये आवाजें हमें और जोश से भर रही थी. धीरे – धीरे चूमना, चाटने में और फिर काटने और नोचने में बदल चुका था. अब दोनों को ही लड़की की कमी नहीं खल रही थी.

फिर कुछ देर के लिए हम रुके और एक – दूसरे की आँखों में देखा. हमारी आंखों में हवस की लहरें पूरे उफान पर नज़र आ रही थीं. हमारी आंखों ने ये साफ संदेश दे दिया की अब ये खेल अपने अगले चरण तक पहुंच चुका है.

अब हम 69 की पोजीशन में आ गए थे. मैं नीचे था तो उसका लौड़ा सीधे मेरे मुंह में समा गया. वाह क्या स्वाद था, क्या एहसास था! अब मैंने उसकी गांड को अपने दोनों हाथों से कस के पकड़ लिया और उसके छेद पर ऊँगली चुभाने लगा और किसी रंडी की तरह उसका लौड़ा चूसना चालू कर दिया.

अब उसका लन्ड पूरा थूक से गीला हो गया था और मैं उसे गपागप चूसे जा रहा था. मैं उसके लन्ड की चुसाई का पूरा स्वाद ले रहा था. मेरा दोस्त भी मेरा पूरा साथ दे रहा था और बड़े ही प्यार से मेरे लौड़े को चूसे जा रहा था.

अब हम दोनों की जुगल बंदी हो चुकी थी. हमारी गहरी – गहरी सांसे और लम्बी – लम्बी सिस्कारियां अब अपने चरम पर थीं. लेकिन हम दोनों में से कोई नहीं रुका और उसी रफ़्तार मे चूसते – चुसाते एक – दूसरे के मुंह में अपना अपना नमकीन शहद छोड़ने लगे.

अब हम दोनों के बदन अकड़ने लगे थे और हम एक – दूसरे को कस के अपने करीब खींचने लगे थे. ऐसा लग रहा था, मानो हम एक – दूसरे में समा जाना चाहते हों. हमारे लन्ड से इतना रस कभी नहीं निकला था और हमें इतना सुकून भी कभी नहीं मिला था.

अब हम दोनों झड़ चुके थे और हमारे मुंह एक – दूसरे के वीर्य से पूरे भरे हुए थे. तभी मेरा दोस्त उठा और मेरी तरफ अपना मुंह किया. मैं समझ गया था कि अब क्या होना है.

फ़ॉर हम एक – दूसरे को किस करने लगे और एक – दूसरे के मुंह से वीर्य का आदान – प्रदान करने लगे. जिसके हिस्से में जितना वीर्य आया वो पी गया. फिर हमने एक – दूसरे के मुंह को भी चाट के साफ कर लिया था. अभी मेरा दोस्त मेरे ऊपर ही लेटा रहा और हम एक – दूसरे को सहलते हुए सो गए.

आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी. मुझे मेल करके जरूर बताएं. मेरी मेल आईडी – [email protected]