तड़प रही मकान मालकिन की प्यास बुझाई

मुझे नई जॉब मिली थी तो मैंने रायपुर में एक कमरा लिया. वहां पर अक्सर मुझे मेरी मकान मालकिन ही दिखती थीं क्योंकि उनके पति नाईट ड्यूटी पर होते थे और दिन में सोते थे. फिर किस तरह मैंने उन्हें पटा कर उनकी प्यास बुझाई, ये आप इस कहानी में जानेंगे…

हेलो दोस्तों, मेरा नाम अमित है और मैं छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर का रहने वाला हूं. आज मैं आप लोगों को अपने साथ घाटी हुई एक घटना को सेक्स स्टोरी के रूप में पेश करने जा रहा हूं. उम्मीद है आप लोगों को पढ़ कर मज़ा आएगा.

इस दुनिया में जितने भी जीवित जीव हैं सबको चुदाई का केवल शौक ही नहीं बल्कि यह उनकी जरूरत होती है लेकिन आजकल की लड़कियों लड़कों की शक्ल पहले और चुदाई के लिए लंड बाद में देखती हैं. दोस्तों, मोटे – लम्बे लंड से चुदने में लड़कियों को और छोटी – टाइट फुद्दी चोदने में लड़कों को कितना मज़ा आता है ये तो वही बता सकता है, जो इस परिस्थिति से गुजर चुका है.

अब मैं अपनी कहानी पर आता हूं. बात 4 साल पहले की है. तब मैं काम की तलाश में था. बिलासपुर में जॉब न मिलने के कारण मुझे रायपुर आना पड़ा था. वहां मुझे जॉब तो मिल गई थी लेकिन अब रहने के लिए घर का जुगाड़ करना था. इसलिए मैंने अपने एक दोस्त से मदद मांगी. उसकी मदद से मुझे जल्दी ही एक रूम मिल गया और मैं अगले ही दिन उसमें शिफ्ट हो गया. उस घर में मकान मालकिन अपने छोटे – छोटे बच्चों और पति के साथ रहती थीं. मैं मकान मालकिन को भाभी बुलाता था.

वो मुझे बहुत अच्छी लगने लगी थीं. चूंकि मैं नया था तो उनसे ज्यादा बात भी नहीं होती थी. एक महीने तक तो बस हाय हेलो में ही बीत गया. बात कुछ आगे नहीं बढ़ पाई थी. एक दिन अचानक मुझे पता चला कि भाभी का बर्थडे है. यह जान कर मेरी खुशी का ठिकाना न रहा. मैंने तय किया कि क्यों न भाभी को बाहर ले जाकर उनका बर्थडे सेलेब्रेट किया जाए, इससे शायद मेरा काम बन ही जाए. दोस्तों, मैं आपको एक बात बताना ही भूल गया था. भाभी के पति भी एक प्राइवेट कम्पनी में काम करते हैं और उनकी ड्यूटी शाम के 4 बजे से रात 1 बजे तक होती है.

फिर मैंने भाभी से अपने प्लान के बारे में बताया तो वो मान गईं. इसके बाद मैं ऑफिस चला गया और उनसे शाम को तैयार रहने के लिए कह दिया. जब मैं शाम को वापस आया तो भाभी तैयार थीं. फिर मैं उनको लेकर पास के गार्डेन में गया.

वहां जाकर हमने करीब 1 घण्टे तक साथ में बैठे रहे. इस दौरान हमने ढेर सारी बातें कीं. बातों ही बातों में उन्होंने मुझे बताया कि उनके हसबैंड उन्हें प्यार नहीं दे पाते हैं. और इतना बता कर वो रुआंसी हो गईं.

यह सुन कर मैं मन ही मन खुश हो गया और सोचने लगा कि अब तो मेरा काम आसान हो गया. फिर मैंने भाभी के हाथ को पकड़ के कहा कि आप परेशान न हों, मैं हूं ब आपके साथ. ये सुन कर वो रोती हुई मुझसे लिपट गईं. इससे उनकी नरम – नरम चूचियां मेरे सीने से टच होने लगीं, जिस कारण मेरा लंड रॉड की तरह तन कर खड़ा हो गया. अब मेरा मन कर रहा था कि उन्हें यहीं पटक के अपना लंड उनकी चूत में घुसा दूं लेकिन वो सार्वजनिक जगह थी, वहां कुछ हो नहीं सकता था तो मैंने उन्हें खुद से अलग करके अपने आप को संभाला.

फिर गार्डेन से निकल कर हम होटल गए और वहां जाकर हमने साथ में खाना खाया. इसके बाद हम घर की तरफ निकल पड़े. वापसी में बाइक पर जब वह बैठी तो उन्होंने इस तरह मेरी कमर पकड़ रखी थी, जैसे वो मेरी बीवी हों. उनके ऐसे पकड़ने से मेरा और मेरे लंड का बुरा हाल था. लंड फिर से लोहे की रॉड के जैसे टाइट हो गया था.

अब मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं? क्योंकि लंड में लगी आग उसे भाभी की चूत में डाले बिना बुझने वाली नहीं थी लेकिन मौका मिल नहीं रहा था. खैर, किसी तरह हम घर आ गए. उस दिन के बाद से मेरे और भाभी के बीच एक दूसरा ही रिश्ता बन गया था. हमें अगर थोड़ा सा भी समय मिलता तो हम प्यार भरी बातें किया करते थे. हमारा प्यार पींगे भर रहा था. भाभी भी चुदासी थीं और मैं भी ऐसे ही किसी मौके की तलाश में था, जब मैं अपने लंड की डुबकी उनकी चूत में लगा सकूं.

वो कहते हैं न कि इंतज़ार का फल मीठा होता है और हर इंतज़ार करने वाले को मिलता है. मुझे भी मिला. एक दिन भाभी का पूरा परिवार कहीं बाहर चला गया. घर में केवल भाभी और मैं ही बचे थे. मुझे ये जानकारी नहीं थी. मैं अपने रूम में लेटा था कि तभी भाभी पीछे से आईं और मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया.

पहले तो मैं चौंका लेकिन फिर जब भाभी को देखा तो मेरे अंदर का शैतान जाग गया. मेरा लंड तुरंत खड़ा होकर उछलने लगा. अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था तो मैंने भाभी को अपनी बाहों में खींचा और उनके मम्मे मसलने लगा. उनकी नरम और बड़ी – बड़ी चूचियां मुझे और भी उत्तेजित कर रही थीं.

आज मेरे लंड को बहुत दिनों के बाद कोई चूत मिलने वाली थी इसलिए वो सांप की तरह खड़ा होकर फुंफकार मार रहा था. फिर थोड़ी देर तक उनके मम्मे मसलने के बाद मैंने एक – एक करके उनके सारे कपड़े उतार के फेंक दिए. इसके बाद मैं सीधा हुआ और एक दम से उनकी चूत में अपना लम्बा लंड घुसा दिया.

अब वो जोर – जोर से मादक सिसकियां निकालती हुई चुद रही थीं. मैं तेजी से धक्के लगा रहा था. बहुत मज़ा आ रहा था. धक्के लगाने के साथ ही साथ मैं उनके मम्मों को भी मसल रहा था. इसके अलावा उनके नाजुक होंठों का रसपान भी कर रहा था.

धीरे – धीरे मेरी रफ्तार बढ़ती गई. अब लंड ऐसे ऊपर – नीचे हो रहा था जैसे इंजन का पिस्टन. करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद फिर मैंने अपना सारा माल उनकी चूत में छोड़ दिया. उनकी चूत मेरे वीर्य से पूरी भर गई थी. फिर मैं उनके ऊपर ही लेट गया.

तब उन्होंने मुझसे कहा कि आज तुमने मुझे जो सुख दिया है वो मुझे शादी के बाद आज तक नहीं मिला. आज से मैं तुम्हारी और सिर्फ तुम्हारी हूं. तुम जब भी चाहो, जहां भी चाहो मुझे चोद सकते हो और हां मेरी चुदाई करते वक्त तुम्हें कंडोम लगाने की भी जरूरत नहीं. मैं हमेशा तुम्हारा माल अपनी चूत में लेना चाहती हूं. इस पर मैंने कहा, “हां जान, आज से अब तुम मेरी और सिर्फ मेरी हो.” उस दिन मैंने कुल 3 बार उनकी चुदाई की. आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी? कमेंट करके जरूर बताएं.

1 thought on “तड़प रही मकान मालकिन की प्यास बुझाई”

  1. Khaniyan girl and women bhe party hongai Àap se mere request parhne ke baad comments bhe parha kareye Shayad koie Accha Dost mill jaie

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