अब वो सीत्कारियाँ भरने लगी, लेकिन मैं उसकी गोरी – गोरी टाँगों पर अपना हाथ फेरता रहा और उसके बाद मैंने उसकी पैन्टी भी उतार दी. उसकी चूत बिल्कुल चिकनी थी और वह थोड़ी गीली भी हो गई थी…
हेलो दोस्तों, मेरा नाम संदीप है और मेरी उम्र 23 वर्ष की है. यह जो मैं आप सबको बताने जा रहा हूँ, वह मेरे साथ घटी एक सच्ची घटना है.
बात उन दिनों की है जब मैं 12वीं क्लास में पढ़ा करता था. मैं अंग्रेजी में थोड़ा कमजोर था, इसलिए मेरे पिता जी ने अपने एक दोस्त की बेटी के पास ट्यूशन के लिए भेजना शुरू कर दिया. उसका नाम आरती है और वो एक स्कूल में टीचर थी.
मैं हर रोज शाम को 5 बजे उसके पास पढ़ने जाता था. उसके पास मेरे अलावा और भी विद्यार्थी आते थे. आरती का रंग गोरा था और वह देखने में बहुत सैक्सी थी. उसके बड़े – बड़े संतरे थे और उसकी पिछाड़ी तो एक दम बाहर की तरफ उभरी हुई थी. कुल मिलाकर उसका फिगर ऐसा था कि कोई भी एक बार उसे देख ले तो वह देखता ही रह जाए.
मैं हर रोज उसके पास तो अंग्रेजी पढ़ने के लिए जाता था, लेकिन मैं पढ़ता कम था और उसको देखता ज्यादा रहता था. मैं हर समय उसके चूतड़ों की तरफ देखता रहता था. कभी – कभी तो वह इतने पतले कपड़े पहन लेती थी कि उनमें से उसकी पैन्टी भी साफ दिखाई पड़ती थी.
जिस दिन मैं उसे इस रूप में देखता था, उस दिन तो मैं घर में जाकर उसके नाम की मुठ जरूर मारता था. बात उस दिन की है, जब मैं दो दिन ट्यूशन नहीं गया था. मुझे अपने एक दोस्त की बहन की शादी में जाना था, लेकिन मैं ट्यूशन पर बताना भूल गया कि मैं दो दिन नहीं आऊँगा.
मैं दो दिन ट्यूशन पर नहीं गया, लेकिन जब मैं दो दिनों के बाद ट्यूशन पर मुझे उस दिन की छुट्टी के बारे पता नहीं था. मैंने सोचा कि चलो पूछ लेता हूँ. फिर मैंने आरती ‘मैडम जी’ कह कर आवाजें दीं, लेकिन कोई नहीं आया. फिर मैंने दरवाजा भी खड़काया, लेकिन तब भी कोई नहीं आया, तो मैं घर का दरवाजा खोल कर सीधा अंदर चला गया.
जब मैं अंदर गया तो आरती अपने कमरे में पड़ी थी. शायद वो सो रही थी, इसलिये उसने मेरी आवाज नहीं सुनी. घर पर और कोई नहीं था. ऐसा लग रहा था कि सब कहीं बाहर गये हुऐ थे.
दोस्तों, मैं तो इसी मौके की तलाश में था. पहले तो मैं कुछ देर ऐसे ही आरती को देखता रहा. वो सोते हुए इतनी ज्यादा सुन्दर लग रही थी कि मन कर रहा था कि अभी उसके साथ जाकर चिपक जाऊँ.
फिर मैं हल्के – हल्के कदमों के साथ आगे बढ़ा और उसके काफी करीब आ गया. उसने एक चादर ओढ़ रखी थी. फिर मैंने धीरे से उसके ऊपर से चादर उठा दी. उसने सलवार और कमीज पहना हुआ था. सलवार पूरी तरह से उसके चूतड़ों में फंसी हुई थी और उसकी लाल रंग की पैन्टी पारदर्शी सलवार में से दिख रही थी.
उसे देख कर मैं तो पूरी तरह से पागल सा हो गया था. अब मेरा लौड़ा खड़ा हो गया था. मेरा दिल कर रहा था कि बस अभी कुछ कर दूँ. फिर मैंने अपना हाथ आगे बढ़ाया और उसकी टाँगों पर रख दिया और धीरे – धीरे आगे बढ़ाने लगा और उसकी जाँघों तक पहुंच गया.
तभी अचानक वो जाग उठी और मुझे देख कर गुस्से से चिल्लाने लगी कि तुम यह क्या कर रहे थे मेरे साथ? मैं तुम्हारे पापा को बता दूँगी. मैं बहुत डर गया था और मैंने उससे क्षमा माँगते हुए, उससे अपने मन की सारी बात बता दी. मैंने कहा कि मैं तुम्हें पहले दिन से देख रहा हूँ, तुम बहुत सुंदर हो और मैं तुम्हें बहुत पसंद करता हूँ.
तभी अचानक उसने मेरा खड़ा लौड़ा देख लिया, जिसे मैं छुपाने की कोशिश कर रहा था. शायद उसको मेरा लौड़ा पसंद आ गया था. फिर उसने अपने मुँह पर हाथ रखते हुए कहा, “यह क्या है यश?” अब मैंने आव देखा ना ताव बस सीधा अपनी पैंट खोली और अपना लण्ड बाहर निकाल कर उसे दिखा दिया. वो उसे छूकर देखने लगी और फिर धीरे – धीरे उससे खेलने सी लगी.
फिर मैंने कहा, “चलो कुछ करते हैं, किसी को कुछ पता नहीं चलेगा, सिर्फ थोड़ी देर की तो बात है.” पहले तो वो इन्कार करती रही पर बाद में उसने थोड़ा सहयोग करना शुरू किया तो मैंने उसी समय उसकी सलवार खींच दी और उसकी सलवार नीचे टाँगों तक आ गई.
अब वो सीत्कारियाँ भरने लगी, लेकिन मैं उसकी गोरी – गोरी टाँगों पर अपना हाथ फेरता रहा और उसके बाद मैंने उसकी पैन्टी भी उतार दी. उसकी चूत बिल्कुल चिकनी थी और वह थोड़ी गीली भी हो गई थी.
उसका बदन मेरा साथ दे रहा था और वह दिखावे के लिये दबी जुबान में बोलती रही कि ऐसा मत करो, ऐसा मत करो. लेकिन मैं कहाँ हटने वाला था. मैं तो उसकी गोरी चूत को देख पागल सा हो गया था और फिर मैंने बिना कुछ सुने, अपना मुँह उसकी चूत पर रख दिया और पागलों की तरह उसकी चूत को चूसने लगा.
अब उसके मुँह से सीत्कारें आ रही थीं. वो लगातार, “आआ आ आ मत करो आ हा आहा मत करो प्लीज़” कह रही थी. इस दौरान मेरा लौड़ा लोहे की रॉड की तरह अकड़ गया था.
अब बिना कुछ सोचे – विचारे मैंने अपना लौड़ा उसकी चूत में घुसेड़ दिया और जोर – जोर के झटके मारने लगा. फिर मैंने एक ऊँगली उसकी गांड में डाल दी और जोर से आगे -पीछे करने लगा.
अभी पाँच मिनट ही हुए थे कि मुझे महसूस हुआ कि उसकी चूत में से पानी बहने लगा है, लेकिन मैं अभी भी उसे चोद रहा था, फिर मैं उसके होंठ चूसने लगा. मैं उसको कुछ भी बोलने का मौका नहीं दे रहा था.
थोड़ी ही देर में मैं भी झड़ गया और मेरा सारा माल उसकी चूत में निकल गया. मैंने जैसे ही अपना लौड़ा उसकी चूत से निकाला तो उसकी चूत में से ढ़ेर सारा पानी निकल रहा था और उसकी चूत एक दम पानी-पानी हो गई थी. इस पानी से उसकी टाँगें भीग कर चिपक सी गई थीं.
मैं कुछ देर ऐसे ही पड़ा रहा और वह भी ऐसे ही निढाल पड़ी रही. बाद में उसने मुझे बताया कि इस चुदाई में उसे भी बहुत मज़ा आया. अब तो हमें जब भी मौका मिलता है, हम चुदाई जरूर करते हैं.
दोस्तों, आपको मेरी यह कहानी आपको कैसी लगी, मुझे ईमेल करके जरूर बताईएगा. मेरी मेल आईडी –
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