राजू उसकी दोनों चूचियों को मसलने लगा और गालों पर चूमने लगा। सविता को भी मज़ा आने लगा था. वो भी मज़े लेने लगी और सिर राजू की तरफ घुमा लिया. जिससे राजू ने उसके होंठ पर होंठ रख दिए……..
दोस्तो! मेरा नाम दानिश है. मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ. मैने सोचा अपनी भी एक कहानी आपके सामने लाऊँ तो मैंने भी अपनी कहानी आपके लिए लिखी. ये कहानी मेरे दोस्त राजू और उसकी बहनों की है. कहानी मेरे दोस्त से शुरू होती है।
राजू मेरा दोस्त है. राजू की उम्र लगभग 26 साल है, उसकी दो बहने हैं, सरिता और सविता.
यह कहानी मुझे सरिता ने बताई थी।
हुआ यूँ कि एक बार राजू अपनी कार से सविता को लेकर बाज़ार गया. बाज़ार में उन्होंने सविता की क्लास में पढ़ने वाले लड़के को कार चलाते देखा. यह देख कर सविता कार चलाना सीखने के लिए राजू से ज़िद करने लगी।
राजू ने बहुत समझाया कि कुछ दिन के बाद सिखा दूँगा पर वो नहीं मानी।
तब राजू ने उसे कहा- ठीक है, सुबह एकदम सवेरे जब रोड पर कम लोग रहते हैं, मैं मैदान में ले जाकर सिखा दूँगा।
दूसरे दिन राजू सविता को लेकर मैदान में गया. बहुत कोशिश करने पर भी सविता से कार का स्टेयरिंग नहीं सम्भल पाया। जब वो स्टेयरिंग ठीक संभालती तो एक्सीलेटर छूट जाता और जब एक्सीलेटर संभालती तो स्टेयरिंग छूट जाता।
तब राजू ने सविता को गोद में बिठा कर स्टेयरिंग खुद पकड़ा और सविता को सिर्फ़ ब्रेक और एक्सीलेटर संभालने को कहा।
वो बोली- नहीं, मैं खुद ही दोनों संभालूंगी, जब ग़लती हो तो स्टेयरिंग तुम पकड़ लेना!
इस तरह उसने कार आगे बढ़ाई।
कुछ दूर तो ठीक चली पर जब मुड़ने की बारी आई तो उसने एक्सीलेटर कम करने के बदले ज्यादा ही छोड़ दिया और अचानक फिर से एक्सीलेटर कम किया जिससे कार को जोरदार झटका लगा और राजू ने जल्दी से सविता को पकड़ा ताकि वो स्टेयरिंग से टकरा ना जाए और ब्रेक दबा दिया। गाड़ी रुक गई पर राजू के हाथ में काफ़ी चोट लगी क्योंकि राजू का हाथ स्टेयरिंग से टकरा गया था।
तब राजू का ध्यान गया कि उसने सविता की चूचियों को जकड़ रखा है। राजू ने झट से अपना हाथ हटाया। सविता भी झेंप गई।
फिर राजू ने कहा- अभी तो तुम स्टेयरिंग से टकरा जाती और तुम्हारे सीने में चोट लग जाती? देखो अभी तक मेरे हाथ में दर्द हो रहा है।
वो बोली- थैंक यू भैया जो तुमने मुझे चोट लगने से बचा लिया पर तुमने भी कितनी ज़ोर से पकड़ा कि मुझे भी छाती में दर्द होने लगा है।
राजू ने पूछा- कहाँ?
वो बोली- सीने में!
इस पर राजू ने अपनी दोनों हथेलियों से सविता की दोनों चूचियों को सहलाते हुए पूछा- यहाँ?
वो बोली- धत्त भैया! यह क्या करते हो? कोई देखेगा तो?
राजू ने कहा- कार में काला शीशा है किसी को नहीं दिखेगा।
यह कह कर राजू उसकी दोनों चूचियों को मसलने लगा और गालों पर चूमने लगा। सविता को भी मज़ा आने लगा था. वो भी मज़े लेने लगी और सिर राजू की तरफ घुमा लिया. जिससे राजू ने उसके होंठ पर होंठ रख दिए।
राजू का लंड खड़ा हो चुका था और सविता की गांड में गड़ रहा था. राजू बेकाबू हो रहा था. वो एक चूची छोड़ कर सविता की चूत को ऊपर से ही सहलाने लगा और उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया. फिर उसने अपना हाथ सविता की पैंटी में घुसा दिया और चूत सहलाने लगा।
सविता भी गर्म हो चुकी थी. उसके मुँह से सिसकारी निकलने लगी। राजू ने उसकी सलवार को और पैंटी को नीचे सरका दिया और अपने पैंट की चेन खोल कर लंड बाहर निकाल लिया।
इतने में सविता ने कहा- भैया! सड़क पर लोग आने-जाने लगे हैं, अब छोड़ दीजिए।
राजू ने कहा- ठीक है, पर अब हम लोग इसी तरह घर तक जाएँगे।
वो मान गई।
इस तरह वो दोनों घर पहुँचे और कार से निकलने से पहले खुद को ठीक किया। घर पहुँच कर दोनों ने नहा धो कर नाश्ता किया।
रात को खाने की मेज़ पर सविता ने कहा– भैया! आज तुम मेरे मैथ के कुछ सवाल को हल कर दो।
राजू बोला- मैं अभी कुछ नहीं करूँगा. मुझे कंप्यूटर पर काम है और जब तक मेरा काम ख़त्म होगा, तुम सो जाओगी।
सविता बोली- नहीं सोऊँगी. आज मैं भी देखूँगी तुम क्या काम करते हो और जब काम ख़त्म हो जाएगा तब सवाल बता देना!
राजू बोला– मेरे कमरे में आने की ज़रूरत नहीं है. सुबह बता दूँगा।
सविता बोली– नहीं! अभी बता दो।
इस पर राजू की मम्मी ने कहा- बता दो राजू, तुम काम भी करते रहना और इसे बीच- बीच में मदद भी करना।
राजू बोला- ठीक है, मेरे कमरे में आ जाओ।
और राजू अपने कमरे में चला गया.
रात करीब 10 बजे सविता राजू के कमरे में गई. राजू कंप्यूटर पर कुछ काम कर रहा था. सविता के आते ही उसने उसे गोद में बैठा लिया और उसकी चूची मसलने लगा।
सविता बोली- क्या कर रहे हो भैया? कोई आ जाएगा।
इस पर राजू बोला– ठीक है, पहले मैथ का सवाल हल कर लो।
राजू ने लगभग आधे घंटे में सारे सवालों को हल कर दिया और सविता से बोला- जाओ देख कर आओ कि घर में सभी सो गये हैं या नहीं? और पेशाब करके आना।
सविता चली गई और कुछ देर बाद आकर बोली- हाँ भैया सब सो चुके हैं।
यह सुनते ही राजू ने सविता को उठा लिया और बिस्तर पर पटक कर बोला- आज तो सविता बहना! रानी! तुम्हें इतना चोदूंगा कि तुम्हारी चूत का भोसड़ा बना दूँगा।
सविता बोली- चोदना क्या होता है?
राजू बोला- जब मेरा लंड तुम्हारी चूत में घुस कर कुटाई करेगा, तब पता चल जाएगा मेरी रानी!
यह कह कर राजू ने अपने और उसके सारे कपड़े उतार दिए और उसकी छोटी-छोटी चूचियों को चूसने लगा और एक हाथ से उसकी चूत पर उंगली रगड़ने लगा। सविता तो मानो किसी औउर दुनिया में ही पहुँच गयी. उसने राजू का लंड अपने हाथ में लिया और मुठ मारने लगी. लेकिन राजू ने अपना लंड उसके हाथ से निकाल कर उसके मुँह में दे दिया.
सविता लोलीपोप की तरह राजू का लंड चूसने लगी. जबब राजू को लगा कि उसका पानी छोटने वाला है तो उसने लंड बाहर निकाल लिया और सविता की दोनों टांगों को फैलाकर उसकी चूत पे अपना लंड टिका दिया. तब तक सविता की चूत भी पूरी तरह पनिया चुकी थी. राजू ने सविता के होठों को अपने होठों की कैद में लिया और एक ही झटके में पूरा लंड सविता की चूत में उतार दिया.
सविता की चीख तो निकली लेकिन राजू के होठों की वजह से उसके मुँह में ही घुट कर रह गयी. कुछ देर यूँ ही पड़े रहने के बाद राजू ने धीरे-धीरे अपनी कमर को हिलाना शुरू किया. 4-5 हलके धक्कों के बाद सविता को भी मजा आने लगा और वो भी अपनी गांड हिलाकर राजू का साथ देने लगी.
कुछ ही देर में दोनों चरम पे पहुँच गए और फिर एक दुसरे से अलग हो गए. उस दिन के बाद तो अक्सर ही राजू का लंड सविता की चूत का मजा लेने लगा.