मुझे नौकरी नहीं मिल रही थी तो मेरे मामा ने मुझे अपने पास पुणे बुला लिया. वहां उन्होंने मुझे नौकरी दिला दी. वहां मैं उन्हीं के घर पर रहता था. फिर एक दिन एक सड़क दुर्घटना में मामा की मौत हो गई. मामा की मृत्यु के बाद मैंने मामी का बहुत खयाल रखा. फिर एक दिन ऐसी घटना घटी कि मामी मेरे पास आईं और खुद को मेरे हवाले कर दिया…
नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम धंनजय है और मैं महाराष्ट्र के एक छोटे से कस्बे का रहने वाला हूं. मेरी उम्र 25 वर्ष हो चुकी है. हमारे कस्बे में काम ज्यादा नहीं होने के कारण नौकरियां भी नहीं हैं. इस वजह से मैंने अपने मामा को फोन किया और कहा कि मुझे वह शहर में ही कहीं नौकरी पर लगवा दें. तब उन्होंने मुझसे कहा कि तुम एक काम करो, तुम मेरे पास आ जाओ मैं तुम्हें नौकरी लगा दूंगा.
दोस्तों, मेरे मामा का नाम अभिजित और वह पुणे में रहते हैं. उनकी पत्नी का नाम सीमा है और वह भी बहुत अच्छी हैं. उनके दोनों बच्चे सरकारी नौकरी करते हैं. इस वजह से वह घर पर नहीं रहते हैं. मामा भी दिन में काम पर चले जाते हैं इसलिए वह घर पर अकेली ही रहती हैं.
मामा की बात सुन कर मैंने इस सम्बंध में अपने पिता जी से बात करी तो वह कहने लगे कि बढ़िया है तुम शहर ही चले जाओ, क्योंकि वहां पर मामा की मदद से तुम्हें अच्छी नौकरी भी मिल जाएगी और तुम अपने हिसाब से काम भी कर पाओगे.
पिता जी से अनुमति मिलने के बाद मैंने भी फैसला कर लिया था और मैं पुणे चला गया. जब मैं पुणे गया तो मामा मुझे लेने स्टेशन आए थे. वे मुझसे मिल कर बहुत खुश हुए और वह मेरे घर का हाल चाल पूछने लगे. मैंने उन्हें बताया कि घर पर तो सब ठीक है पर मेरी स्थिति कुछ ठीक नहीं चल रही क्योंकि मुझे अपने यहां पर कोई भी काम नहीं मिल पा रहा है.
मेरी बात सुन कर मामा ने कहा कि तुम उसकी चिंता मत करो, मेरी काफी जान पहचान है. मैं कहीं न कहीं तुम्हारी नौकरी लगवा ही दूंगा. तुम उसके लिए बेफिक्र रहो. दोस्तों, बात करते – करते हम मामा के घर पहुंच गए. मामी ने घर का दरवाजा खोला. दोस्तों, कहानी में आगे आगे बढ़ने से पहले मैं आप सब को अपनी मामी के बारे में बता दूं. मेरी मामी बहुत खूबसूरत हैं और उनका फिगर भी एक दम सेक्सी है.
जब मैं घर पहुंचा तो थोड़ा उदास था. मुझे उदास देख कर उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या हुआ धनंजय तुम इतने उदास क्यों हो? मेरे बोलने से पहले ही मामा बोल पड़े. उन्होंने हंसते हुए मामी से कहा कि नौकरी न होने की वजह से उदास है. मामा की बात सुन कर मामी ने मुझसे कहा कि धनंजय अब तुम्हें किसी भी प्रकार की चिंता करने की जरूरत नहीं है, तुम सिर्फ अपना ध्यान रखो, मामा तुम्हारी नौकरी लगवा देंगे.
उनकी बात सुन कर मुझे थोड़ा राहत मिली और मैं मुस्कुराने लगा. फिर मैं अपने मामा लोगों के साथ ही रहने लगा लेकिन कहीं ना कहीं मुझे उनके साथ रहना अच्छा नहीं लग रहा था क्योंकि मैं सोच रहा था कि जब मेरी नौकरी लग जाएगी तो मैं अलग रहने लगूंगा.
कुछ दिन बाद मामा ने मेरे लिए नौकरी ढूंढ ली. उन्होंने मेरे लिए एक ऑफिस में बात की थी, वहां पर मैं काम करने लगा. वहां पर काम करते हुए मुझे जब कुछ समय हो गया तो एक दिन मैंने अपने मामा से कहा कि मामा अब मैं अपने लिए कहीं अलग घर देख लेता हूं, आप लोगों को मेरी वजह से तकलीफ होती होगी.
मेरी बात सुन कर वह मुझ पर गुस्सा हो गए और कहने लगे कि तुम्हें कहीं भी जाने की आवश्यकता नहीं है. हम दोनों तो घर में अकेले ही हैं. यदि तुम कहीं और रहोगे तो हमें अच्छा थोड़ी लगेगा. इस तरह उन्होंने मुझे अलग रहने के लिए साफ इनकार कर दिया और कहा कि तुम्हें बिल्कुल भी अलग नहीं रहना है.
दोस्तों, मेरे मामा बहुत ही अच्छे स्वभाव के हैं और वह मेरा बहुत ही ध्यान रखते हैं. वह बिल्कुल अपने बच्चों की तरह मेरा खयाल रखते हैं. अब मैं वहीं रहते हुए अपने काम पर जाने लगा और नया घर लेने का खयाल छोड़ दिया.
अब जब वह अपने ऑफिस से वापस आते तो हम लोग साथ में समय बिताते थे. मैं, मामी और मामा साथ में बैठ कर खूब गप मारते थे.
एक दिन जब मामा जी ऑफिस से लौट रहे थे तो उनकी बाइक में किसी ने टक्कर मार दी और वह वहीं गिर पड़े. जिस वजह से उन्हें कई जगह चोट लग गई थी. चोट की वजह से हमें उन्हें हॉस्पिटल ले जाना पड़ा. डॉक्टर ने उन्हें एडमिट कर लिया क्योंकि उनकी चोट ज्यादा गहरी थीं. उन्हें सर में गहरी चोट लगी थी और काफी ज्यादा खून निकल गया था. डॉक्टरों ने काफी प्रयास किया लेकिन उन्हें बचा न सके.
मामा के देहांत के बाद अब मैं ही उनके घर का सारा काम देखा करता था. मुझे मामी की बहुत चिंता होती थी. कुछ दिन मैंने उनका बहुत ध्यान रखा. जिससे उन्हें मामा के जाने का दुख न हो. एक दिन उन्होंने मुझसे कहा कि धनंजय तुमने मेरा बहुत ध्यान रखा है, मैं तुमसे बहुत ही खुश हूं और मुझे बहुत ही अच्छा लगा.
दोस्तों, अब उनके घर में हम दो ही लोग रह गए थे. अब जब मैं ऑफिस वापस आता तो मेरी मामी मेरे लिए खाना बना कर रखती थीं. क्योंकि उन दिनों ऑफिस से आते वक्त मुझे बहुत देर हो जाती थी. धीरे – धीरे ऑफिस में मेरे कई दोस्त भी हो गए थे और उनके साथ में उठने – बैठने लगा था. मेरे सारे दोस्त पुणे के ही रहने वाले थे.
धीरे – धीरे मेरी दोस्ती पुणे में ज्यादा बढ़ती गई. अब मैं उनके साथ बैठ कर शराब भी पी लिया करता था. पहले मुझे शराब की लत नहीं थी लेकिन उन लोगों के सम्पर्क में आने के बाद धीरे – धीरे मुझे शराब की आदत होने लगी थी.
अब जब भी मैं ऑफिस से वापस लौटता था तो हमेशा ही शराब के नशे में होता लेकिन मैंने इस बात की भनक कभी मेरी मामी को न होने दी. क्योंकि मैं जब भी घर लौटता था तो उनके साथ बहुत ही अच्छे से बर्ताव करता था और मेरे बर्ताव से वह बहुत ही खुश रहती थीं.
मैं घर के हर काम करता था. घर में जितनी भी चीजें या सामान लानी होती थी तो मैं वह सब अपनी छुट्टी के दिन ले आता था. मामा के जाने के बाद मैं उनसे अलग रहने की भी बात बिल्कुल कर ही नहीं सकता था क्योंकि मैंने उनसे जब पहले इस बारे में चर्चा की थी तो उन्हें बहुत ही ज्यादा बुरा लगा था.
मैं अलग रहने की सोच तो रहा था क्योंकि अब मेरे दोस्त और मैं साथ में पार्टी कर लिया करते थे. मेरे कई दोस्तों ने मुझे घर ले चलने को कहा लेकिन मामी की वजह से मैं उन्हें नहीं लाता था. इस वजह से मैं अक्सर सोचता था कि कहीं पर मैं अलग से घर ले लूं, जिससे कि हम वहीं पर पार्टी कर लिया करेंगे और मुझे मामी का दखल भी नहीं होगा.
इसी दरमियान ऑफिस में ही मेरी एक गर्लफ्रेंड भी बन गई थी. जिससे कि मैं फोन पर काफी देर बातें किया करता था. कई बार मेरी मामी ने मुझे फोन पर बातें करते हुए देख लिया था परंतु फिर भी वह मुझे कुछ नहीं कहती थीं.
एक दिन की बात है. मैं अपनी गर्लफ्रेंड से फोन में बात करते हुए मुठ मार रहा था. तभी मामी मेरे कमरे में आ गईं और उन्होंने मुझे मुठ मारते देख लिया. उन्हें देखते ही मैं लन्ड पैंट के अंदर करने लगा लेकिन तभी वह मेरे पास आई और उन्होंने मेरे लंड को अपने मुंह में ले लिया.
मैं अभी भी अपनी गर्लफ्रेंड से फोन पर बात कर रहा था, इसलिए उनसे कुछ बोल नहीं पाया और वह बड़े आराम से मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर लेकर चूसे जा रही थीं. उन्होंने इतने अच्छे से मेरे लंड को चूसा कि मेरा वीर्य निकल गया. जैसे ही मेरा वीर्य गिरा तो उन्होंने मेरे लंड को मुंह से बाहर निकाला और फिर एक – एक करके अपने सारे कपड़े खोल दिए.
इसके बाद वह दोबारा से मेरे लंड को हिलाने लगीं. अब मैंने अपना फोन काट दिया और उनकी योनि के अंदर अपना लंड डाल दिया. उनके बड़े – बड़े चूतड़ों को अपने हाथ में पकड़ कर मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था. उनमें अब भी बहुत जवानी बची हुई थी.
जैसे ही मैंने अपने लंड को उनकी योनि में डाला तो वह कहने लगी कि धनंजय आज तुमने मेरी सालों से दबी हुई इच्छाओं को पूरा कर दिया है. इतने वर्षों से तुम्हारे मामा मेरी इच्छा पूरी नहीं कर पा रहे थे और तुमने तो एक ही दिन में मेरी सभी इच्छाओं को अच्छे से पूरा कर दिया.
अब मैं उन्हें ऐसे ही चोदे जा रहा था और वह मेरा पूरा साथ दे रही थीं. वह अपने चूतड़ मुझसे मिलाए जा रही थीं. अब मैं भी बड़ी तेजी से धक्के दिए जा रहा था. दोस्तों, मुझे इतना मजा आ रहा था कि बता नहीं सकता.
धक्कों की वजह से मेरा शरीर पूरा गर्म हो चुका था और उनके चूतड़ों पर पड़ रही चपाट से वह भी आग निकालने लगी थी. मैं उनके चूत की गर्मी को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था, फिर भी मैं धक्के पर धक्के दिए जा रहा था.
कुछ देर बाद मेरा वीर्य निकलने वाला था. अब मैंने खुद पर अपना पूरा कंट्रोल हटा लिया था. इस वजह से वह उनकी चूत के अंदर ही गिर गया. फिर मैं उनके ऊपर ही लेट गया. थोड़ी देर में मेरा ढीला लंड पुच्च की आवाज के साथ बाहर निकल आया.
फिर वह मुझसे कहने लगीं कि अब तुम हमेशा मेरी चूत मारा करो. तुम्हारे मामा मुझे खुश नहीं कर पाते थे इसलिए मैं बहुत प्यासी हूं. अब तुम ही मेरी इच्छाओं को पूरा किया करोगे.
मेरी यह कहानी आप लोगों को कैसी लगी? मुझे मेल करके जरूर बताएं. मेरी मेल आईडी – [email protected]